वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
जनवरी के महीने में एक्सपोर्ट फिर से गिरा और ये लगातार छठे महीने की गिरावट है. कुल मिलाकर इस वित्त वर्ष के पहले 10 महीने (अप्रैल-जनवरी) में एक्सपोर्ट 1.9 परसेंट डाउन है और इंपोर्ट में करीब 8 परसेंट से ज्यादा की कमी आई है. देश की अर्थव्यवस्था के लिए ये काफी बुरी खबर है.
मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपोर्ट के 30 बड़े आइटम्स में से 21 में कमी आई जबकि इंपोर्ट के मामले में ये आंकड़ा 17 का है. इस आंकड़े को देखकर तो यही लगता है कि 2019-20 में एक्सपोर्ट्स का बुरा हाल रहा है. यही वजह है कि नौकरी के नए मौके तो दूर, लोगों की खूब छंटनी हो रही है. एक्सपोर्ट से जुड़े सेक्टर्स में अच्छी नौकरियां मिलती हैं और इससे देश के मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर को बल मिलता है.
लगातार महीनों की गिरावट के बाद क्या जल्दी रिकवरी संभव है? ऐसा होता दिख नहीं रहा है. इसकी दो बड़ी वजह है. पहला है कोरोनावायरस का कहर, जिसकी वजह से अपने दूसरे सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर चीन से व्यापार कैसा रहेगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. नुकसान होना तो तय है.
दुनिया के 40% देशों में सिविल अनरेस्ट की आशंका
दूसरी बड़ी वजह है दुनिया के कई देशों में नागरिकों के बढ़ते आंदोलन की आशंका. सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में दुनिया के करीब 40 परसेंट देशों में सिविल अनरेस्ट की आशंका है.
एक रिसर्च के हवाले से कहा गया है कि जहां 2019 में दुनिया के 47 देशों में बड़ा सिविल अनरेस्ट देखा गया, इस साल इसकी चपेट में 75 देशों के आने की आशंका है. इनमें रूस, चीन, सऊदी अरब, टर्की और ब्राजील शामिल हैं.
हमारे ट्रेड का करीब 9 परसेंट चीन और हांगकांग से ही होता है, करीब 3 परसेंट रूस से और सऊदी अरब हमारा चौथा सबसे बड़ी ट्रेडिंग पार्टनर है जिससे सालाना करीब 28 अरब डॉलर का व्यापार होता है. इन इलाकों में सिविल अनरेस्ट का मतलब है कि वहां से व्यापार में कमी आ सकती है.
“जहां कहीं भी अनरेस्ट होता है वहां व्यापार कम हो जाता है. सामान्य परिस्थिति में 20 परसेंट एडवांस पेमेंट पर हम माल सप्लाई करते हैं. लेकिन सिविल अनरेस्ट की सूरत में हम 100 परसेंट एडवांस पेमेंट की मांग करते हैं. इसकी वजह से ऑर्डर में अचानक कमी आ जाती है. इस कमी को पूरा करने के लिए हम दूसरे इलाकों पर ज्यादा जोर लगाने की कोशिश करते हैं. लेकिन इसकी वजह से हमें मार्जिन काफी कम करना पड़ता है जो कंपनी की सेहत के लिए ठीक नहीं है,”
एक बड़े एक्सपोर्ट फर्म के सीनियर अधिकारी ने मुझे बताया. वो कई सालों से एक्सपोर्ट से जुड़े हुए हैं. दुनिया के 50 से ज्यादा देश जा चुके हैं. उनका कहना है कि जहां पहले दुनिया के कई देशों में मेड इन इंडिया के कपड़े दिखते थे अब उसकी जगह मेड इन बांग्लादेश ने ले लिया है. दूसरे एक्सपोर्ट्स का भी कमोबेश यही मानना है.
बड़े ट्रेंडिग पार्टनर में इस साल सिविल अनरेस्ट काफी बढ़े तो एक्सपोर्ट में रिकवरी की उम्मीद काफी कम है.
कोरोनावायरस की वजह से एक्सपोर्ट से जुड़े सेक्टर्स को नुकसान की आशंका
इसके अलावा कोरोनावायरस से जिस तरह से चीन में तबाही मची है, उसका असर पूरी दुनिया के व्यापार पर पड़ना तय है. ग्लोबल ट्रेड में कमी का असर हमारे ट्रेड पर पड़ना तय है. चीन में तबाही का दूसरा नुकसान भी है. इसकी वजह से हमारे उन सेक्टर्स पर असर हो रहा है जिससे काफी एक्सपोर्ट होता है.
देश की तीन इंडस्ट्री- फार्मा, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो- ऐसे हैं जिनके लिए जरूरी कच्चे माल चीन से ही आते हैं. फार्मा के लिए जरूरी एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट) चीन से ही आते हैं. खेप के आने में देरी या कमी की वजह से इन एपीआई के दाम काफी बढ़ गए है. हालात ऐसे हैं कि फरवरी के आखिर तक सप्लाई सामान्य नहीं होते हैं तो देश में जरूरी पारासिटामॉल जैसी दवाइयों की कमी हो सकती है. फिलहाल बड़ी कंपनियां पुराने स्टॉक्स से काम चला रहे हैं.
ध्यान रहे कि फार्मा हमारे लिए एक्सपोर्ट का बड़ा सेक्टर है. इस सेक्टर से सालाना करीब 20 अरब डॉलर से ज्यादा का एक्सपोर्ट होता है. बाकी सेक्टर्स में सुस्ती के बावजूद फार्मा ऐसा सेक्टर रहा है जिसमें लगातार बढ़ोतरी देखी गई है. हमारे फार्मा प्रोटक्ट्स का अमेरिका बहुत बड़ा बाजार रहा है.
कोरोनावायरस की वजह से अगर इस सेक्टर को नुकसान होता है तो हमारे लिए एक्सपोर्ट का लक्ष्य हासिल करना काफी मुश्किल हो सकता है.
देश में अच्छी नौकरी के मौके बढ़ाने हैं तो एक्सपोर्ट में रिवाइवल जरूरी है. फिलहाल इस रास्ते में कई मुसीबतें हैं. सरकार ने जल्दी से इसपर ध्यान नहीं दिया तो इस जरूरी सेक्टर का रिवाइवल आसान नहीं होगा. सरकार की नजरें इनायत होगी क्या?
(मयंक मिश्रा वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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