डेटा चोरी के मामले में बुरी तरह फंसे फेसबुक के CEO मार्क जकरबर्ग अब सफाई दे रहे हैं. जकरबर्ग ने गुरुवार को अपने यूजर्स से भरोसा तोड़ने के लिए माफी मांगी और डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कई कदम उठाने का वादा किया. खास बात ये है कि जकरबर्ग ने 2019 में होने जा रहे भारत के लोकसभा चुनाव का भी जिक्र किया. उनका कहना है कि फेसबुक में कई बदलाव होंगे और सिस्टम को और मजबूत बनाया जाएगा.
जकरबर्ग ने कहा, हमारा ध्यान केवल अमेरिकी चुनाव तक नहीं है बल्कि भारत, ब्राजील में होने वाले चुनाव और इस साल होने वाले दूसरे चुनाव पर भी है, जो कि बेहद अहम है. हम बेहतर सिस्टम तैयार करने का काम कर रहे हैं. जकरबर्ग के इस बयान से साफ है कि जल्द ही फेसबुक की सुरक्षा को लेकर बड़े बदलाव होने जा रहे हैं.
'अमेरिका में होने वाले चुनाव में हो सकता है दखल'
अमेरिका में 2016 में हुए चुनावों में रूसी हस्तक्षेप के आरोपों के बीच जकरबर्ग ने ये भी कह दिया कि उन्हें पक्का भरोसा है कि नवंबर में होने वाले मध्यावधि चुनाव मं दखल देने के लिए कोई फेसबुक के इस्तेमाला की कोशिश कर रहा है. जकरबर्ग ने कहा, ‘‘ मुझे भरोसा है कि कोई कोशिश कर रहा है.'' उन्होंने कहा, ‘‘ रूस का 2016 में जो भी कोशिश थी, मुझे विश्वास है कि उसका V-2, या दूसरा वर्जन भी है, मुझे यकीन है कि वे उस पर काम कर रहे हैं. और इस बार कुछ अलग तरीका अपनाया जाएगा.'' जकरबर्ग ने कहा इसके बारे बारे में हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि हम उसकी पहचान कर सकें और उसका मुकाबला कर सकें.'
सिक्योरिटी के लिए लॉगिन में हो सकता है बदलाव
दरअसल, फेसबुक में डेटा चोरी का ये ताजा मामला एक एप्लीकेशन के जरिए ही हुआ है. एक ब्रिटिश प्रोफेसर एलेक्जेंडर कोगेन ने थर्ड पार्टी एप्लीकेशन के जरिए ही करीब 2.7 लाख यूजर्स का डेटा हासिल किया था, जो इन यूजर्स के फेसबुक फ्रेंड्स को मिलाकर कुल 5 करोड़ यूजर्स का डेटा हो गया. जिसे ब्रिटिश डेटा एनालिटिक्स फर्म ‘कैंब्रिज एनालिटिका’को दिया गया. इसी डेटा के दुरुपयोग का आरोप लगाया जा रहा है.
अब फेसबुक दूसरे एप्लीकेशन के लिए अपनी पॉलिसी में बदलाव करेगी, इसमें लॉगिन की प्रक्रिया भी शामिल है. इससे ये सुनिश्चित होगा कि बाहरी या थर्ड पार्टी के ऐप से यूजर्स के पूरे डेटा को एक्सेस न किया जा सके.
- भविष्य में किसी ऐप को डेटा के गलत इस्तेमाल में पाया जाता है तो उसे तुरंत हटाया जाएगा और इसकी जानकारी उन सभी यूजर्स को दी जाएगी, जो इसका इस्तेमाल कर रहे थे.
- किसी भी ऐप्लिकेशन की तरफ से यूजर्स से मांगी जा रही जानकारी कम की जाएगी.
- ‘बग बाउंटी' कार्यक्रम का विस्तार करेगी ताकि ऐप डेवलपर द्वारा डेटा के दुरुपयोग की जानकारी दे सकें
हमें इस डेटा लीक और प्राइवेसी में दिलचस्पी क्यों लेनी चाहिए?
2017 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में फेसबुक के 24 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं. दुनिया में सबसे ज्यादा फेसबुक यूजर करीब 11 फीसदी अपने ही देश में हैं. फेसबुक की 'भाषा' में बोले तो सबसे बड़ा 'डेटा बाजार' भारत है, जहां कुछ महीनों में आम चुनाव से लेकर कुछ विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. अब ऐसे में फेसबुक यूजर्स के डेटा चुराकर उसके प्रोफाइलिंग और 'साइकोलॉजिकल प्रोफाइलिंग' के जरिए जो चुनावों में धांधली के आरोप लग रहे हैं, वो बड़ी मुसीबत बन सकता है.
बता दें कि इस मामले में जिस ‘कैंब्रिज एनालिटिका’पर आरोप लग रहे हैं, उसने दावा किया है कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में उसने अपने क्लाइंट को ‘लैंडस्लाइड विक्ट्री’ दिलाई थी.
भारत में इसकी सहयोगी संस्था का नाम ओवलेनो बिजनेस इंटेलिजेंस है, जिसके प्रमुख जेडीयू के बड़े नेता केसी त्यागी के बेटे अमरीश त्यागी हैं. वेबसाइट को फिलहाल, ब्लॉक कर दिया गया है, लेकिन वेबसाइट के कैचे डेटा को देखे तो पता चलता है कि क्लाइंट के तौर पर बीजेपी-कांग्रेस का नाम है.
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