महाराष्ट्र सरकार ने बेमौसम बारिश से मुसीबत में आए किसानों को राहत देते हुए 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ कर दिया है. हालांकि विपक्ष का आरोप है कि उद्धव सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी की है. उद्धव ने ऐलान किया है कि किसानों का 30 सितंबर 2019 तक कर्ज माफ होगा. इसे महात्मा ज्योतिराव फुले कर्जमाफी माफी योजना का नाम दिया गया है.
सीएम उद्धव ठाकरे ने सदन को जानकारी दी कि राज्य ने केंद्र से करीब 15 हजार करोड़ की मदद मांगी है. इसके साथ ही सरकार ने ऐलान किया है कि जो किसान वक्त पर कर्ज चुकाते हैं उनके लिए स्पेशल स्कीम निकाली जाएगी. महाराष्ट्र के वित्त मंत्री जयंत पाटिल ने कहा है कि इस कर्जमाफी योजना में कोई शर्त नहीं होगी.
लेकिन जब इस योजना का ऐलान विधानसभा में हो रहा था तो विपक्ष ने वाकआउट किया. विपक्षी विधायकों का नेतृत्व कर रहे बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सत्ता में आने से पहले शिवसेना ने बौसम बरसात से तबाह हुए किसानों को 25 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर मदद देने का वादा किया था, तो अब उस वादे क्या हुआ? बता दें कि अक्टूबर में हुई बेमौसम बारिश से महाराष्ट्र में 95 लाख हेक्टेयर की फसल बर्बाद हुई थी. विपक्ष का एक सवाल ये भी है कि सरकार ने 30 सितंबर तक का कर्ज माफ किया है, लेकिन बेमौसम बरसात से फसल तो अक्टूबर में बर्बाद हुई, ऐसे में उन्हें कोई मदद क्यों नहीं मिलनी चाहिए?
विपक्ष ने कर्जमाफी को लेकर सवाल उठाए
विपक्ष का कहना है कि शिवसेना ने किसानों का पूरा कर्ज माफ करने का वादा किया था तो अब क्या हुआ? विपक्ष का दूसरा सवाल है कि क्या इस कर्जमाफी योजना के तहत उन नेताओं को भी फायदा होगा जो खेती करते हैं? क्यों नहीं ऐसे प्रावधान किए गए, जिनसे सिर्फ किसानों को फायदा मिले.
विपक्ष पूछ रहा है कि इस कर्जमाफी योजना से सरकार की तिजोरी पर कितना भार पड़ेगा, ये सरकार ने क्यों नहीं बताया. साथ ही उन किसानों का क्या होगा, जो अपना कर्ज लगातार चुका रहे हैं. फडणवीस ने कहा है कि किसानों से विश्वास घात करने वाली उद्धव सरकार के खिलाफ उनकी पार्टी जल्द ही सड़कों पर उतरेगी.
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