कृषि कानूनों के खिलाफ कई राज्यों के कई किसान और किसान संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं. पंजाब-हरियाणा और यूपी के किसान विरोध कर लगातार आंदोलन छेड़े हुए हैं. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद और पूर्व सांसद और जनअधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव उतर आएइन किसानों का समर्थन करने के लिए पहुंचे हैं.
'मैं आंदोलन लीड करने नहीं आया'
चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि, "किसान की हक की लड़ाई में समर्थन देने आया हूं, वहीं किसान खुद को अकेला महसूस न करें, इसलिए मौजूद हूं. किसान, दलित मजदूर सब एक ही हैं. किसान के घर खेती नहीं होगी, तो मजदूर का घर कैसे चलेगा. मैं मजदूरों के सबसे बड़े वर्ग से आता हूं. मैं इस आंदोलन को कैसे छोड़ सकता हूं."
“मैं इस आंदोलन को लीड करने नहीं आया हूं, बस इस आंदोलन में साथ देने आया हूं. किसान खुशी से सड़कों पर नहीं आए हैं.”चंद्रशेखर, भीम आर्मी चीफ
"सरकार 6 दिन बाद ही क्यों बात कर रही है. सरकार दलितों की ताकत को भी जानती है. मेरे यहां आने की जरूरत नहीं पड़ती, अगर सरकार पहले दिन ही बात चीत कर लेती. सर्दियों में किसान सड़कों पर बैठे हुए हैं, आंसू गैस के गोले के छोड़े गए, पानी फेंका गया, किसान की बदौलत ही हर कोई अन्न खाता है."
"सरकार तानाशाह है और वो किसानों के बारे में भी जानती है ये तैयार होकर आये हैं, सरकार को किसानों की बात माननी होगी."
किसानों के प्रदर्शन में पहुंचे पप्पू यादव ने क्या कहा?
पप्पू यादव ने गाजीपुर बॉर्डर पहुंच कर किसानों को अपना समर्थन दिया. इस दौरान उन्होंने आईएएनएस से कहा, मैं यहां किसानों को समर्थन देने आया हूं. सरकार को कृषि कानून को वापस लेना चाहिए. इस बिल के खिलाफ पहली लड़ाई बिहार से ही शुरू हुई. इस बिल के खिलाफ जब पंजाब में लड़ाई शुरू हुई थी, उसके 2 महीने पहले बिहार में लड़ाई शुरू हुई. सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए.
किसान कानूनों के खिलाफ चल रहा है आंदोलन
टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपना डेरा बनाया हुआ है. दरअसल केंद्र सरकार सितंबर महीने में 3 नए कृषि विधेयक लाई थी, जिन पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे कानून बन चुके हैं. जिसके खिलाफ किसानों का ये आंदोलन छिड़ा हुआ है. देश के करीब 500 अलग-अलग संगठनों ने मिलकर संयुक्त किसान मोर्चे का गठन किया है. वहीं इन सभी संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर डेरा जमा रखा है.
(इनपुट: IANS)
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