जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. इन सूत्रों के मुताबिक, अब्दुल्ला के खिलाफ 15 सितंबर को PSA इस्तेमाल किया गया है.
क्या है PSA, कैसे काम करता है?
शेख अब्दुल्ला सरकार में लाए गए PSA को 8 अप्रैल, 1978 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की मंजूरी मिली थी. PSA को लकड़ी तस्करों पर लगाम कसने के लिए लाया गया था. इस कानून के तहत प्रशासन किसी व्यक्ति को बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रख सकता है.
शुरुआत में इस कानून के तहत 16 साल से ज्यादा के नाबालिगों को भी हिरासत में लिया जा सकता था. हालांकि बाद में इसमें संशोधन कर दिया गया, जिसके तहत 18 साल से कम के व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जा सकता.
‘किसी व्यक्ति की गतिविधि से राज्य को खतरा’ होने की सूरत में या किसी व्यक्ति की गतिविधि से ‘कानून व्यवस्था को बरकरार रहने में खतरा’ होने की स्थिति में भी उसे PSA के तहत हिरासत में लिया जा सकता है. PSA के तहत किसी की हिरासत का आदेश डिविजनल कमिश्नर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की तरफ से जारी होता है.
इस कानून की धारा 22 के मुताबिक, PSA का पालन करते हुए अगर कोई ‘नेक नीयत के साथ’ कुछ भी करता है तो उसके खिलाफ कोई भी मामला नहीं चलाया जा सकता.
कई मानवाधिकार संगठन इसे ‘क्रूर’ कानून के तौर पर देखते हैं. साल 1990 तक सरकारों ने इस कानून का राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ काफी इस्तेमाल किया था. जम्मू-कश्मीर में मिलिटेंसी के उभरने के बाद इस कानून को अलगाववादियों के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जाने लगा.
जुलाई 2016 में हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान बानी के मारे जाने के बाद जब घाटी में हालात बिगड़े तो सैकड़ों युवाओं को PSA के तहत हिरासत में लिया गया था. हाल ही में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के ऐलान से ठीक पहले और उसके बाद भी प्रशासन ने काफी लोगों को PSA के तहत हिरासत में लिया है.
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