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IIM में क्यों नहीं बढ़ रही फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद? 

एजुकेशन बैकग्राउंड में डाइवर्सिटी न होने से फीमेल स्टूडेंट्स घटीं

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के बिजनेस स्कूलों में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद बढ़ाने का अभियान धीमा पड़ता जा रहा है. आईआईएम अहमदाबाद, कोझिकोड और कोलकाता में पिछले सेशन के मुकाबले इस सेशन में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद कम हुई है. बाकी आईआईएम का हाल भी इस मामले में बेहतर नहीं है.

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बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईआईएम अहमदाबाद, कोझिकोड और कोलकाता के 2018-20 सेशन में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद 26 फीसदी है. इसके पिछले सेशन में यह 30 फीसदी थी. पिछले तीन साल से आईआईएम बेंगुलुरू में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद 28 फीसदी पर स्थिर है. आईआईएम-इंदौर के मौजूदा बैच में फीमेल स्टूडेंट्स 39 फीसदी हैं लेकिन यह भी पिछले सेशन के 41 फीसदी से कम ही है.

स्नैपशॉट
  • आईआईएम स्कूलों में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद नहीं बढ़ रही
  • आईआईएम अहमदाबाद, कोझिकोड और कोलकाता में फीमेल स्टूडेंट्स कम हुईं
  • आईआईएम में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड  के स्टूडेंट्स  की तादाद बढ़ने का पड़ रहा असर
  • कंपनियां महिला कर्मचारियों की तादाद बढ़ाना चाहती हैं लिहाजा फीमेल स्टूडेंट्स बढ़ने जरूरी

फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद न बढ़ने की क्या है वजह?

आखिर इसकी वजह क्या है. एक्सपर्ट का कहना है जो स्टूडेंट्स मैनेजमेंट स्कूल के लिए एंट्रेस एग्जाम देते हैं और उनमें ज्यादातर इंजीनियरिंग बैंकग्राउंड के होते हैं. इंजीनियरिंग स्कूलों में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद मेल स्टूडेंट्स की तादाद की तुलना में कम होती है. इस कल्चर की वजह से मैनेजमेंट स्कूलों में आने वाले स्टूडेंट्स में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद कम हो जाती है. डेलॉयट इंडिया के चीफ टैलेंट ऑफिसर का कहना है कि एक रिक्रूटर होने के नाते हम यह चाहते हैं कि आईआईएम और आईआईटी फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद बढ़ाएं.

एजुकेशन बैकग्राउंड में डाइवर्सिटी न होने से फीमेल स्टूडेंट्स घटीं
बिजनेस स्कूलों में छात्राओं की तादाद घटाने की कोशिश के बावजूद नतीजे ज्यादा उत्साह नहीं जगाते
(फोटो: iStock)

आईआईएम कोझिकोड ने कायम की थी मिसाल

2013 में फीमेल स्टूडेंट्स को लेकर आईआईएम कोझिकोड ने इतिहास बनाया था. सेलेक्शन प्रोसेस में ऐसे स्टूडेंट्स को ज्यादा वेटेज देने की वजह से 2017-19 बैच में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद 30 फीसदी हो गई थी. लेकिन यह अपनी रफ्तार बरकरार नहीं रख सका और 2018-20 सेशन में यह अनुपात घट कर 26 फीसदी पर आ गया.

आईआईएम में ज्यादातर स्टूडेंट्स आईआईटी और दूसरे इंजीनयरिंग कॉलेजों से आते हैं. एचआरडी मिनिस्ट्री ने 23 आईआईटी को कम से कम 14 फीसदी फीमेल स्टूडेंट्स का अनुपात रखने को कहा था. इससे आईआईएम स्कूलों में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद बढ़ सकती है. इस साल आईआईएम का कॉमन एडमिशन टेस्ट देने वालों में 34.3 फीसदी फीमेल स्टूडेंट्स थीं. 

कंपनियां बढ़ाना चाहती हैं जेंडर डाइवर्सिटी

कंपनियां चाहती हैं कि उनके यहां जेंडर डाइवर्सिटी बढ़े. वे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं की भर्ती करना चाहती हैं. अगर ऐसे इंस्टीट्यूट्स में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद बढ़ती है तो कंपनियों में महिलाओं की तादाद ज्यादा दिखेगी.

दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में खास कर अमेरिकी मैनेजमेंट संस्थानों में फीमेल स्टूडेंट्स की तादाद 40 फीसदी के आसपास है. साथ ही उनके यहां आने वाले स्टूडेंट्स के एजुकेशनल बैकग्राउंड में भी डायवर्सिटी बढ़ती जा रही है.

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