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सुप्रीम कोर्ट के लिए ऐतिहासिक दिन, पहली बार तीन महिला जस्टिस

SC में इंदिरा बनर्जी के जस्टिस की शपथ लेते ही देश की सबसे बड़ी अदालत में महिला जजों की सख्या बढ़कर तीन हो गई है.

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सुप्रीम कोर्ट में इंदिरा बनर्जी के जस्टिस की शपथ लेते ही देश की सबसे बड़ी अदालत में महिला जजों की सख्या बढ़कर तीन हो गई है. ऐसा सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ है. ये तीन महिला जज हैं-

  • जस्टिस भानुमति
  • जस्टिस इंदु मल्होत्रा
  • जस्टिस इंदिरा बनर्जी
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अबतक 8 महिला जजों की नियुक्ति

साल 1950 में सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व में आने के बाद से अबतक 8 महिला न्यायाधीशों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में हो चुकी है. पहली महिला जस्टिस फातिमा बीवी थीं जिनकी नियुक्ति 1989 में हुई थी.

  • जस्टिस फातिमा बीवी
  • जस्टिस सुजाता वी मनोहर
  • जस्टिस रूमा पाल
  • जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा
  • जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई
  • जस्टिस आर भानुमति
  • जस्टिस इंदु मल्होत्रा
  • जस्टिस इंदिरा बनर्जी

मद्रास हाईकोर्ट से हुआ है बनर्जी का प्रमोशन

फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट की जज इंदिरा बनर्जी का मद्रास हाईकोर्ट से प्रमोशन हुआ है. जस्टिस बनर्जी 23 सितंबर, 2022 को रिटायर होंगी. मद्रास हाईकोर्ट से पहले वो कोलकाता हाईकोर्ट में जज और फिर वहीं चीफ जस्टिस रह चुकी हैं. सुश्री मल्होत्रा पहली महिला जस्टिस हैं जिनकी सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई.

सुप्रीम कोर्ट का इतिहास

देश का सुप्रीम कोर्ट 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया था. 2 दिन बाद यानी 28 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस हीरालाल जे. कानिया थे. सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के वक्त इसमें चीफ जस्टिस को मिलाकर कुल जजों की संख्या 8 तय की गई थी. जजों की संख्या बढ़ाने का अधिकार संविधान ने संसद को दिया है. काम को बढ़ता देखकर जजों की संख्या को बढ़ाया गया. 1956 में 11, 1960 में 14, 1978 में 18, 1986 में 26 जजों का प्रावधान किया गया. साल 2009 में ये संख्या बढ़ाकर 31 कर दी गई.

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