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विदेशी मीडिया ने मोदी सरकार पर उठाए सवाल,कहा-बढ़ा सांप्रदायिक तनाव

विदेशी मीडिया ने कहा- सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाली सरकार भारत के लिए खतरनाक

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लंदन की एक बड़ी वीकली मैगजीन 'द इकनॉमिस्ट' ने भारत की सत्ता में काबिज बीजेपी को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है. इस आर्टिकल में नोटबंदी से लेकर हिंदू-मुस्लिम तनाव के बारे में भी लिखा गया है.

मैगजीन ने कांग्रेस और बीजेपी की भी तुलना की है, जिसमें कहा गया है कि भले ही कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार हुए हों, लेकिन वो पार्टी लोगों को एक दूसरे के साथ लड़वाने का काम नहीं करती है. मैगजीन ने मोदी सरकार के पांच सालों के कामकाज पर भी विस्तार से लिखा है.

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साल 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने पर लोगों के मन में थे कई सवाल

मैगजीन ने शुरुआत में लिखा है, जब 2014 में भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी को अपने नेता के तौर पर पेश किया, तब लोगों के मन में कई सवाल थे. मसलन, बिजनेस से जुड़े लोगों ने सोचा कि क्या मोदी सरकार इकोनॉमी की हालत सुधारेगी? सेक्युलर लोगों को डर था कि ये सरकार सांप्रदायिक आग न भड़का दे?

इन पांच सालों में नरेंद्र मोदी उतने अच्छे भी नहीं रहे, जितने उनके समर्थक बताते हैं और न ही उतने बुरे जितने उनके आलोचक (इस अखबार को मिलाकर) सोचते हैं. इस चुनाव में लोगों को विकल्प तलाशना ही होगा.

‘अब तक उल्टे ही पड़े हैं पीएम मोदी के दांव’

नरेंद्र मोदी अपने चुनाव प्रचार में पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ एक शक्तिशाली शख्सियत दिखने की कोशिश करते हैं. इसी दिखावे के चलते मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के विद्रोह को शांत करने की जगह भड़का दिया है. विरोध प्रदर्शन को बुरी तरह कुचलने की वजह से जो कश्मीरी विद्रोह का हिस्सा नहीं थे वो भी अब इसमें शामिल होने लगे हैं.

इस उग्र रवैये से इकनॉमिक पॉलिसीमेकिंग पर भी असर पड़ा है. 2016 में नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए. मकसद बताया गया था ब्लैक मनी पर प्रहार, लेकिन प्लान फेल रहा और किसानों और छोटे कारोबारियों को नुकसान पहुंचा.

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मीडिया में क्यों नहीं सुनाई देती मोदी सरकार की आलोचना

मोदी सरकार की आलोचना देश में काम ही सुनाई देती है क्योंकि मीडिया डरा हुआ है. सरकारी संस्थानों की हालत खराब है, विपक्षियों के खिलाफ सीबीआई और इनकम टैक्स का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए करना, विश्वविद्यालयों में अपनी विचारधारा के लोगों को पहुंचना और सेना का राजनीतिकरण इस सरकार में खुलेआम हुआ.

‘कैसे बढ़ता गया हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव’

मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ाना है. यूपी में फायरब्रांड हिंदू नेता को मुख्यमंत्री बनाया गया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह खुलेआम मुस्लिम शरणार्थियों को दीमक कहते हैं. आतंकवाद के आरोप में बेल पर बाहर प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया. और नरेंद्र मोदी ने खुद कभी 2002 गुजरात दंगों के लिए माफी नहीं मांगी.

ये सब बहुत खतरनाक है. भारत की सरकार का ऐसे लोगों के हाथ में होना विनाशकारी हो सकता है. 175 मिलियन भारतीय इन सब वजहों से खुद को दोयम दर्जे का नागरिक महसूस करते हैं.

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‘बीजेपी से किस तरह बेहतर है कांग्रेस?’

कांग्रेस भ्रष्टाचारी हो सकती है लेकिन वो भारतीयों को एक-दूसरे से नहीं लड़ाती. लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए उसके मेनिफेस्टो में कई अच्छे आईडिया हैं. राहुल गांधी ने कांग्रेस का आधुनिकरण किया है. कांग्रेस भारतीयों के वोट की बीजेपी से बेहतर हकदार है.

कांग्रेस अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती लेकिन रीजनल पार्टियों के साथ मिलकर वो बहुमत हासिल कर सकती है. अगर बीजेपी जीतती है तब भी उसका गठबंधन में शासन करना ही देश के लिए बेहतर होगा. इससे रिफॉर्म में देरी हो सकती है लेकिन वो वैसे भी धीरे ही हो रहे हैं.

(ये आर्टिकल प्रिंट एडिशन के लीडर्स सेक्शन में 'एजेंट ऑरेंज' हेडलाइन के साथ छपा था.)

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अल-जजीरा चैनल पर भी डिबेट

3 मई के अपने कार्यक्रम अपफ्रंट में अल जजीरा चैनल के एकंर मेंहदी हसन ने बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली से बात की. मुद्दा था- तेजी से बढ़ी हेट स्पीच और धार्मिक हिंसा के बावजूद लोग नरेंद्र मोदी को अगले 5 साल के लिए क्यों चुनें?

नलिन का जवाब था -

आंकड़ों से कई बार सही तस्वीर नहीं दिखती. आंकड़ों में बढ़ोतरी का मतलब ये भी है कि हम ज्यादा मामले दर्ज करने पर जोर दे रहे हैं. इसके अलावा आप मोदी सरकार का एक भी काम ऐसा नहीं गिनवा सकते जो हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, पारसी में भेद करता हो. हमारी कोई सरकारी स्कीम देश के नागरिकों में भेदभाव नहीं करती.

सितंबर 2018 में राजस्थान की एक रैली के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठिए दीमक की तरह हैं. इस बयान पर पूछे जाने पर नलिन का जवाब था कि दीमक जमीन को अंदर से खोखला कर देती है. नॉर्थ-ईस्ट में घूमने पर आप पाएंगे कि वहां लाखों की तादाद में अवैध घुसपैठिए हैं. कई जिले ऐसे हैं जहां भारतीय हैं ही नहीं. और भारतीय कहते वक्त उनमें भारतीय मुस्लिम को भी शामिल कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में कहा था कि इतिहास में कभी कोई हिंदू किसी आतंकी कार्रवाई में शामिल नहीं रहा. इस बयान का हवाला देते हुए एंकर ने नलिन से पूछा कि क्या आप आरएसएस के हिंदू सदस्य नाथूराम गोडसे को आतंकवादी नहीं मानते तो नलिन का जवाब था- महात्मा गांधी की हत्या एक मर्डर थी.

बेबाकी से लिए गए इस इंटरव्यू में गुजरात दंगों से लेकर एनडीए सरकार में मंत्रियों के विवादित बयानों तक पर चर्चा हुई.

ये पूरी डिबेट देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-

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