भारतीय सुरक्षाबलों पर 14 फरवरी की शाम हुए हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्ते लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. इस हमले का जवाब देने के लिए भारत की तरफ से 26 जनवरी को पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की गई. लेकिन इसके ठीक एक दिन बाद पाकिस्तान ने भी अपने फाइटर जेट भारतीय सीमा में घुसा दिए और बमबारी की. इसमें भारतीय एयरफोर्स के एक पायलट को पाकिस्तान ने अपने कब्जे में ले लिया.
दुनियाभर के मीडिया में चर्चा
इस सब के ठीक बाद पूरी दुनिया में इसकी चर्चा शुरू हो गई. सोशल मीडिया में कई हैशटैग भी चलने लगे. सबसे ज्यादा ट्रेंड में रहने वाला हैशटैग 'से नो टु वॉर' था. दोनों देशों की तरफ से राष्ट्रवाद का जोश भी नजर आ रहा था. लेकिन इंटरनेशनल मीडिया ने इसे किस तरह से लिया? दो न्यूक्लियर पावर से लैस देशों के बारे में विदेशी मीडिया ने क्या हेडिंग दी और युद्ध की हालात पर क्या कहा यहां देखिए पूरी लिस्ट.
वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दोनों तरफ की मीडिया रिपोर्ट्स की बात लिखी. इस पूरे मामले पर उनकी अपनी कोई रिपोर्टिंग नहीं रही. दोनों देशों के मीडिया चैनलों और अखबारों में छपी खबरों को ही बताया गया. इसमें लिखा था -
‘अगर आपने इंडियन मीडिया को फॉलो किया हो तो आपने सुना होगा कि मंगलवार को भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की थी. जिसमें बताया गया कि 300 आतंकवादी मारे गए. लेकिन अगर आप पाकिस्तानी मीडिया को देख रहे थे तो आपको पता चलेगा कि भारतीय फाइटर जेट्स अपने पेलोड गिराकर वापस लौट गए. जिसमें किसी को भी कोई नुकसान नहीं हुआ.’
अब न्यू-यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट देखिए, जिसने पूरे मामले को ही कंफ्यूजन से भरा बताया है. न्यू-यॉर्क टाइम्स ने भारत और पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई को समझ से परे बताया और लिखा -
‘भारत ने दावा किया है कि उसने कश्मीर में हुए हमले का बदला ले लिया है, वहीं पाकिस्तान का कहना है कि भारत की तरफ से हुई स्ट्राइक में किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. इससे यही साबित होता है कि हालात अभी भी कंफ्यूजन से भरे हैं.’
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान की सरकार ने जानबूझकर ऐसा फैसला लिया है. लेकिन दुश्मनी को पीछे छोड़ते हुए हर न्यूक्लियर देश को खुद को युद्ध की स्थिति से बाहर लाने के बारे में सोचना चाहिए.
गार्जियन ने किया अमेरिका का जिक्र
गार्जियन की रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान को इस हालात से बाहर निकालने के बारे में लिखा गया. लेकिन इसमें खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अहम भूमिका बताई गई. इसमें कहा गया है -
‘यह काफी डाउटफुल है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके विदेश मंत्री माइक पोम्पियो इस क्षेत्र में वही फायदा उठाने की कोशिश की है जो पहले के अधिकारियों ने की थी. ट्रंप ने इस क्षेत्र में अपनी रुचि दिखाई और भारत का साथ दिया, वहीं पाकिस्तान को लताड़ लगाई.’
बीबीसी इंडिया की तरफ से उन हालात के बारे में बताया गया, जो परमाणु बम के इस्तेमाल वाले हालात में दोनो देशों के साथ-साथ पूरी दुनिया के सामने थीं. इसमें कहा गया था कि युद्ध किसी भी देश के हित में नहीं था. इसीलिए युद्ध वापस लेना संभव था, लेकिन यह तय नहीं था कि कौन सा देश पहले कदम वापस लेता है.
आर्टिकल में अमेरिका के पूर्व पाकिस्तानी एंबेसेडर प्रोफेसर हक्कानी को कोट किया गया है. इसमें कहा गया है पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध नहीं चाहता है लेकिन यहां की सेना के लिए विश्वसनीयता साबित करने की चुनौती है
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