कांग्रेस ने जस्टिस बी एच लोया की मौत की जांच एसआईटी से कराने की मांग की है. कांग्रेस ने इसकी मांग करते हुए कहा है कि जिस देश में अहम मामलों की पैरवी करने वाले या सुनवाई करने वाले वकीलों और जजों को शिकार बनाया जा रहा है वहां लोकतंत्र जिंदा नहीं रह सकता.
कांग्रेस ने कहा है कि अगर जस्टिस लोया की मौत की जांच सही तरीके से नहीं हुई तो पार्टी देश के गांव-गांव में जाकर लोगों को बताएगी कि देश में किस तरह इंसाफ का गला घोंटा जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस लोया की मौत के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इसमें उनकी मौत की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की गई है.
जस्टिस लोया शोहराबुद्दीन शेख हत्याकांड की जांच कर रहे थे, जिसमें बीजेपी चीफ अमित शाह भी एक आरोपी हैं. जस्टिस लोया की 2014 में नागपुर में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. जस्टिस लोया की जगह शोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ के मामले में सुनवाई कर रहे जज ने कहा था कि इस मामले में अमित शाह के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
लेकिन जस्टिस लोया के परिवार वालों की ओर से मौत पर संदेह जताए जाने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. इसने ज्यूडिशयरी के भीतर भी भारी टकराव पैदा किया.
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जस्टिस लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की गई है. उन्होंने कहा कि जिस डॉक्टर ने जस्टिस लोया का पोस्टमार्टम किया उसने उसी दिन तीन और पोस्मार्टम किए. सिब्बल ने कहा कि हम जस्टिस लोया की मौत के बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकते लेकिन हालात कुछ अलग ही कहानी कह रहे हैं. ये चिंता की बात है. सिब्बल ने कारवान मैगजीन के साथ जस्टिस लोया की बहन और अन्य रिश्तेदारों की बातचीत का जिक्र किया है, जिसमें जांच को लेकर चिंता जताई गई थी.
हालांकि कुछ दिनों पहले जस्टिस लोया के बेटे अनुज लोया ने कहा था कि उनके पिता की मौत पर परिवार को अब कोई संदेह नहीं है.
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