दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा की मां की 2 अगस्त को कैंसर से मौत हो गई. चार दिन पहले बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने साईबाबा की जमानत याचिका खारिज की थी. 2017 में जीएन साईबाबा को माओवादियों से रिश्ते रखने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साईबाबा के वकील आकाश सोर्डे ने 31 जुलाई को जीएन साईबाबा और उनकी मां गोकरकोंडा सूर्यवती के बीच एक वीडियो कॉल आयोजित करने की कोशिश की थी. डॉक्टरों ने कहा था कि 74 वर्षीय सूर्यवती 48 घंटे से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाएंगी.
लेकिन वकील आकाश सोर्डे की कोशिश नाकाम हो गई थी.
हमने नागपुर सेंट्रल जेल के सुपरिंटेंडेंडेंट अनूप कुमार कुमरे से संपर्क करने की कोशिश की थी, जिससे कि साईबाबा की मां अपनी आखिरी इच्छा के तौर पर उन्हें देख पाएं. लेकिन कई कॉल का जवाब नहीं दिया गया.आकाश सोर्डे ने इंडिया एक्सप्रेस को बताया
साईबाबा की पत्नी वसंथा सूर्यवती लॉकडाउन की पाबंदियों की वजह से दिल्ली से हैदराबाद ट्रेवल नहीं कर पाईं. उन्होंने कहा कि वो एक 'दयालु और देखभाल करने वाली महिला' के जाने से दुखी हैं और अपनी सास की आखिरी इच्छा पूरी कर पाने में असमर्थ रहने पर निराश हैं,
साईबाबा ने अपनी मां को देखने के लिए 45 दिन की जमानत मांगी थी. उन्होंने अपनी जमानत याचिका में ये भी कहा था कि को-मोर्बिडिटी होने की वजह से उन्हें कोरोना वायरस से खतरा ज्यादा है.
स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर प्रशांत सथानाथन ने साईबाबा की जमानत का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि साईबाबा के भाई उनकी मां के साथ है और वो दोनों हैदराबाद के एक कंटेनमेंट जोन में रह रहे हैं.
कौन हैं जीएन साईबाबा?
साईबाबा दिल्ली यूनिवर्सिटी के राम लाल आनंद कॉलेज में प्रोफेसर थे. साईबाबा को 9 मई 2014 को महाराष्ट्र पुलिस ने दिल्ली के उनके घर से गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के वक्त पुलिस का दावा था कि साईबाबा प्रतिबंधित संगठन भाकपा-माओवादी के सदस्य हैं. साईबाबा 90 फीसदी से ज्यादा फिजिकली डिसएबल हैं और व्हीलचेयर पर हैं.
साईबाबा का नाम उस समय सामने आया, जब जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र हेमंत मिश्रा को माओवादियों से संबंध रखने के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था. जांच के दौरान हेमंत ने प्रोफेसर साई बाबा का नाम लिया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)