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नोटबंदी तहस-नहस करने वाला कदम था- पूर्व CEA अरविंद सुब्रह्मण्यम 

नोटबंदी पर अरविंद सुब्रमण्यन ने चुप्पी तो तोड़ दी है,लेकिन खुलासा नहीं किया कि उनसे इस फैसले पर राय ली गई थी या नहीं

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देश के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्‍यम अब नोटबंदी पर बरस पड़े हैं. नोटबंदी की आलोचना करते हुए उन्होंने इसे इकनॉमी के लिए बहुत बड़ा झटका बताया है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी की ही वजह से ग्रोथ रेट 7 क्वॉर्टर के निचले स्तर 6.8% पर आ गई, जो 8% थी. नोटबंदी पर अरविंद सुब्रह्मण्‍यम ने चुप्पी तो तोड़ दी है, लेकिन ये खुलासा नहीं किया कि उनसे इस फैसले पर राय ली गई थी या नहीं.

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सुब्रह्मण्‍यम ने अपनी किताब 'ऑफ काउंसिल: द चैलेंजेज ऑफ द मोदी-जेटली इकोनॉमी' में नोटबंदी पर एक चैप्टर भी लिखा है. उनका मानना है कि नोटबंदी से पहले भी ग्रोथ कम थी, लेकिन इस फैसले के बाद तेज गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि इस बात से किसी को भी आपत्ति नहीं होगी कि इस फैसले के बाद ग्रोथ धीमी हुई है, अब बहस इस बात की है कि गिरावट कितनी हुई है.

जून में अरविंद सुब्रह्मण्‍यम ने किया था इस्तीफे का ऐलान

अरविंद सुब्रह्मण्‍यम ने इसी साल जून में अचानक वित्त मंत्रालय छोड़ने का फैसला किया था. उनका कार्यकाल 2019 तक था पर पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए वो अमेरिका लौट गए. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि आगे मौका मिला तो वो दोबारा भारत में काम करना पसंद करेंगे. बता दें कि 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद से अरविंद सुब्रह्मण्‍यम तीसरे बड़े आर्थिक विशेषज्ञ हैं जिन्होंने भारत के बजाए अमेरिका लौटने का फैसला किया.इसके पहले रघुराम राजन ने रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर कार्यकाल बढ़ाने से पहले ही इनकार करके शिकागो यूनिवर्सिटी में बिजनेस के प्रोफेसर का पद दोबारा संभाल लिया.नीति आयोग के डिप्टी चेयरमैन अरविंद पानगढ़िया ने करीब ढाई साल काम करने के बाद बिजनेस प्रोफेसर के तौर पर दोबारा कोलंबिया यूनिवर्सिटी ज्वाइन कर ली थी.

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