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G20 Summit: भारत मंडपम के स्वागत स्थल पर लगा कोणार्क चक्र क्यों है खास? कहां से आया?

G20 Summit: इस चक्र को ओडिशा के कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर से लिया गया है.

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भारत
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान के भारत मंडपम में सभी जी20 (G20 Summit) नेताओं और प्रतिनिधियों का स्वागत किया. पीएम मोदी ने भारत मंडपम में जिस स्‍थान पर नेताओं का हाथ मिलाकर स्‍वागत किया, वहां पीछे एक बड़ा-सा चक्र बना हुआ था. इस चक्र ने वहां आए मेहमानों के साथ पूरे देश का ध्‍यान अपनी ओर आकर्षित किया. इस चक्र का नाम 'कोणार्क चक्र' है. आइए आपको इस कोणार्क चक्र के मायने बताते हैं.

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चक्र का निर्माण राजा नरसिंहदेव प्रथम ने करवाया था

इस चक्र को ओडिशा के कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर से लिया गया है, जिसके माध्‍यम से PM मोदी ने देश की ऐतिहासिक विरासत से रूबरू कराया. इस चक्र का निर्माण 1250 ई. में गांग वंश राजा नरसिंहदेव प्रथम ने अपने शासन के दौरान करवाया था. यह चक्र भारत की प्राचीन सभ्‍यता, ज्ञान-विज्ञान और वास्तुशिल्प की श्रेष्ठता का प्रतीक है.

सूर्य मंदिर में 12 जोड़ी यानी 24 ऐसे चक्र बने हैं, जो सूर्य के रथ के पहियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये 12 जोड़ी पहिए साल के 12 महीनों को दर्शाते हैं. पहियों की कुल संख्‍या 24 है, जो दिन के 24 घंटों को दर्शाते हैं.

पहिए का आकार 9 फीट 9 इंच का है. हर पहिए में 8 चौड़ी तीलियां और 8 पतली तीलियां हैं. जानकार बताते हैं कि सूर्य की स्थिति के आधार पर इस चक्र का उपयोग कर समय की गणना की जाती थी. 8 चौड़ी तीलियां दिन के 8 प्रहर के बारे में बताती हैं, जबकि हर दो चौड़ी तीलियों के बिल्‍कुल मध्‍य में स्थित पतली तीलियां बीच के आधे प्रहर का संकेत देती हैं.

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में नजर आता है ये चक्र

यह कोणार्क चक्र वही चक्र है, जो भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज में नजर आता है. कोणार्क चक्र भारतीय करेंसी नोट पर भी छपा है. एक समय ये 20 रुपए के नोट पर प्रकाशित होता रहा और फिर फिर 10 रुपये के नोट पर भी छपा.

कोणार्क चक्र का घूमना समय, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है. ये लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में काम करता है जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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