ADVERTISEMENTREMOVE AD

करुणानिधि की मौत पर राजनीतिक फायदा उठाने का खुला खेल

करुणानिधि के समाधि स्थल को लेकर क्यों छिड़ा विवाद?

Updated
भारत
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

करुणानिधि के निधन के बाद एक ओर जहां तमिलनाडु शोक में डूबा हुआ है, वहीं इस पर सियासी फायदा उठाने का खेल भी चल रहा है. यही वजह है कि मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को लामबंद करने में जुटी ममता बनर्जी मंगलवार रात ही चेन्नई पहुंच गईं. यहां उन्होंने करुणानिधि को श्रद्धांजलि अर्पित की. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को चेन्नई पहुंचकर करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी. साथ ही तमिलों को साधने के लिए पीएम मोदी ने तमिल में ट्वीट कर दुख भी जताया.

करुणानिधि का मंगलवार शाम चेन्नई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. चेन्नई के राजाजी हॉल में उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

करुणानिधि की समाधि पर विवाद?

विवाद छिड़ने के पीछे असली वजह तमिलनाडु की सियासत है. तमिलनाडु की राजनीति के दो धुरे रहे हैं, पहली जयललिता और दूसरे करुणानिधि. जयललिता का दिसंबर 2016 में चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था. इसके बाद तमिलनाडु में शोक की लहर दौड़ गई थी. लाखों की समर्थकों की मौजूदगी में जयललिता को मरीना बीच पर एमजी रामचंद्रन की समाधि के पास दफनाया गया था.

करुणानिधि की समाधि को लेकर विवाद तब खड़ा हो गया जब राज्य सरकार ने करुणानिधि को दफनाने के लिए मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया. करुणानिधि के निधन के बाद डीएमके ने मांग की थी कि करुणानिधि को दफनाने के लिए मरीना बीच पर जगह दी जाए. सरकार के इनकार के बाद चेन्‍नई में कावेरी हॉस्पिटल के बाहर डीएमके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया.

0

तमिलनाडु की सियासत के दो दिग्गज चले गए, लेकिन कड़वाहट बरकरार है

तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता की एआईएडीएमके और करुणानिधि की डीएमके दो बड़े दल हैं. यही दोनों दल सूबे में बारी बारी से सत्ता संभालते रहे हैं. जाहिर है कि दोनों दल एक दूसरे के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी हैं.

तमिलनाडु की राजनीति के दोनों बड़े पुरोधा करुणानिधि और जयललिता हमारे बीच नहीं है लेकिन डीएमके और एआईएडीएमके के रिश्तों में कड़वाहटआज भी बरकरार है. सियासत में सक्रिय रहने के दौरान तो दोनों दलों के बीच बदले की राजनीति देखने को मिली ही, लेकिन अब दोनों नेताओं के जाने के बाद भी उनके दलों के बीच कड़वाहट बनी हुई है.

साल 1996 से 2001 के बीच डीएमके की करुणानिधि सरकार ने आय से अधिक संपत्ति के कानून के तहत जयललिता के खिलाफ भ्रष्टाचार के दर्जनों और मामले दर्ज किए, जिनकी वजह से जयललिता को जेल भी जाना पड़ा. कहना गलत नहीं होगा कि दोनों दलों के बीच चल रही सियासी दुश्मनी की वजह से ही तमिलनाडु सरकार ने मरीना बीच पर करुणानिधि की समाधि बनाने के लिए जमीन देने से इंकार कर दिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राजनीतिक फायदा उठाने का खेल

डीएमके सरकार के मरीना बीच पर समाधि स्थल के लिए जगह न देने के पीछे दो सियासी वजह हैं. पहली अपने प्रतिद्वंदी दल से सियासी बदला और दूसरा राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश. तमिलनाडु की जनता करुणानिधि और जयललिता को बहुत मानती है. दोनों के ही समर्थक अपने नेताओं के निधन पर सड़कों पर मातम मनाने निकाले. ये इस बात का संकेत है कि ये समर्थक व्यक्तिगत तौर पर इन नेताओं से अपना जुड़ाव मानते हैं. यही वजह है कि डीएमके इस फैसले से अपने समर्थकों में एआईएडीएमके से बदला लेने का संदेश देना चाहती है. ताकि, अगले चुनाव में भी उसे जनता का साथ मिल सके.

पीएम मोदी ने तमिल में किया ट्वीट

ऐसा नहीं है कि सिर्फ तमिलनाडु में ही करुणानिधि के निधन पर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिशें की जा रहीं हैं. केंद्र से भी तमिलों को साधने की कोशिश की जा रही है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिल में ट्वीट कर करुणानिधि के निधन पर शोक जताया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मंगलवार रात से चेन्नई में मौजूद हैं ममता बनर्जी

मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को लामबंद करने में जुटी ममता बनर्जी मंगलवार रात ही चेन्नई पहुंच गईं थीं. यहां उन्होंने करुणानिधि को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा, 'करुणानिधि सीनियर नेता थे, उनका जाना देश के लिए अपूर्णीय क्षति है.'

करुणानिधि के समाधि स्थल को लेकर क्यों छिड़ा विवाद?

ममता बनर्जी मंगलवार रात से ही चेन्नई में मौजूद हैं. ममता की मौजूदगी के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि करुणानिधि के निधन पर भावनात्मक साथ देकर ममता 2019 के लिए डीएमके को अपने पक्ष में करना चाहती हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

DMK के समर्थन में राहुल गांधी समेत कई दिग्गज नेता

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, डी. राजा समेत कई विपक्षी नेताओं ने डीएमके की मांग का समर्थन किया है. इन नेताओं ने तमिलनाडु सरकार से मरीना बीच पर दिवंगत नेता करुणानिधि के समाधि स्थल के लिए जगह देने की अपील की है.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘जयललिता जी की तरह, कलाईनार तमिल लोगों की आवाज थे. वह मरीना बीच पर जगह पाने के हकदार हैं.’

सीताराम येचुरी ने कहा, ‘कलैनार के लिए मरीना बीच पर दफनाने की जगह देने से इनकार करना दुर्भाग्यपूर्ण है.’

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×