"बुरा न देखो"
"बुरा न सुनो"
"बुरा न बोलो"
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इन सिद्धांतों ने हमेशा हमारा मार्गदर्शन किया है. लेकिन आज देश में विरोध के लिए उठती आवाजों को जिस तरह से दबाया जा रहा है, उससे लगता है कि इसके अलग मायने निकाल लिए गए हैं.
सरकार बेरोजगारी और कोरोना वायरस के मुद्दे से सरकार ने अपनी आंखें फेर ली हैं. पिछले कुछ सालों में देश में विरोध की आवाज को भी दबाने की कोशिश हुई है. देश में ‘असिहष्णुता’ पर बोलने वालों को सोशल मीडिया पर लोग ‘एंटी-नेशनल’ करार दे देते हैं. वहीं, सरकार और सत्ता पर आवाज उठाने वाले कई एक्टिविस्ट को सरकार ने विवादित कानून UAPA के तहत गिरफ्तार किया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)