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यूपी में ESMA के बावजूद आज से लाखों कर्मचारियों की ‘महा हड़ताल’

यूपी सरकार ने प्रदेश में 4 फरवरी को देर रात एस्मा लागू कर दिया था

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6 फरवरी से 12 फरवरी तक के लिए यूपी के कई कर्मचारी संगठनों ने ‘महा हड़ताल’ पर जाने का ऐलान किया है. इस महा हड़ताल में यूपी के करीब 20 लाख सरकारी कर्मचारी शामिल होंगे.

4 फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से 20 कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल कर आया. इसके बाद यूपी सरकार ने प्रदेश में 4 फरवरी को देर रात एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट (एस्मा) लागू कर दिया.

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बुधवार 6 फरवरी से शुरू होने वाले हड़ताल से पहले 5 तारीख की शाम को प्रदेश में कई जगह धारा 144 भी लगा दिया गया है.

आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्‍मा) के लागू होने के बाद प्रदेश में हड़ताल को अगले 6 महीनों तक के लिए गैर कानूनी घोषित कर दिया गया है. इस घोषणा के बावजूद कर्मचारी संगठन हड़ताल करने पर अड़े हुए हैं.

हड़ताल पर प्रशासन और कर्मचारी आमने-सामने

जहां एक ओर कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की ठान ली है, वहीं सरकार ने भी सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए हैं. सरकार ने बातचीत के फेल होने और कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के ऐलान के तुरंत बाद ही प्रदेश में एस्‍मा लागू कर दिया.

एस्मा लागू होने के बाद प्रदेश के कई जिलों में धारा 144 भी लगा दिया गया है. साथ ही किसी भी तरह के पुतले दहन और लोगों के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. विधानभवन सहित सभी सरकारी स्थानों का घेराव करने पर भी रोक लगाया गया है. इन बातों का सभी एरिया मजिस्ट्रेटों को पालन कराने का आदेश दिया गया है.

क्या है कर्मचारियों की मांग?

यूपी सरकार ने प्रदेश में 4 फरवरी को देर रात एस्मा लागू कर दिया था

हड़ताल पर जा रहे उत्तर प्रदेश के सभी कर्मचारियों की मांग है पुरानी पेंशन योजना फिर से लागू की जाए. दरअसल केंद्र सरकार ने साल 2004 में नेशनल पेंशन स्कीम की शुरुआत की थी.

इस स्कीम के लागू होने के बाद जो सरकारी कर्मचारी बहाल हुए वो सभी पुरानी पेंशन स्कीम की जगह एनपीएस के तहत आ गए. एनपीएस में आने के बाद सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम की मांग इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि पुरानी स्कीम में कर्मचारियों का कोई कंट्रिब्यूशन नहीं है और तय पेंशन की गारंटी भी है.

क्या है एस्मा?

आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्‍मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है. इसके उल्लंघन पर पुलिस किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है. एस्‍मा 1968 के तहत आवश्यक सेवाओं की लम्बी लिस्ट जैसे कि टेलीफोन, रेलवे,एयरपोर्ट, और बंदरगाह में काम करने वाले कर्मचारियों को हड़ताल करने की मनाही होती है.

एस्मा के विरोध करने पर क्या होगी सजा?

इस कानून का विरोध करने पर जेल की सजा भी हो सकती है और एक साल तक कैद भी हो सकती है. साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है. एस्‍मा लागू होने के बाद अगर कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध‍ और दंडनीय है. क्रिमिनल प्रोसिजर के तहत एस्‍मा लागू होने के बाद इस आदेश से संबंधित किसी भी कर्मचारी को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें - यूपी में हड़ताल की घोषणा होते ही योगी सरकार ने लगाया एस्मा

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