कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में जस्टिस के एम जोसेफ के नाम पर मुहर नहीं लगने के बाद ये मामला गर्म हो गया है. सरकार के इस फैसले पर तेजी से प्रतिक्रिया आ रही है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने इसे ‘परेशानी’ वाला फैसला बताया है.
हालांकि इन प्रतिक्रियाओं को देखते हुए अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम से कहा है कि जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट करने की अपनी सिफारिश पर फिर से विचार करें.
जस्टिस जोसेफ के प्रमोशन पर फिलहाल रोक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने 10 जनवरी को जस्टिस जोसेफ और सीनियर वकील इन्दु मल्होत्रा को सर्वोच्च अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी. सरकार ने इन्दु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की कॉलेजियम की सिफारिश स्वीकार कर ली. लेकिन उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ के प्रमोशन को रोके रखने का फैसला किया.
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सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा बार काउंसिल से सीधे सुप्रीम कोर्ट में बतौर जस्टिस नियुक्त होने वाली वह पहली महिला होंगी. सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को वे शपथ ले सकती हैं.
सरकार ने दिए ये तर्क
खबरों के मुताबिक, सरकार का कहना है कि जस्टिस जोसेफ के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने की राह में वरिष्ठता सबसे बड़ी बाधा है. देशभर के हाईकोर्ट में कार्यरत चीफ जस्टिस और जजों की वरिष्ठता सूची में जस्टिस जोसफ काफी नीचे आते हैं.
जस्टिस जोसेफ 669 हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में 42वें नंबर पर हैं. सरकार का मानना है कि जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश करते समय कोलेजियम ने वरिष्ठता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को नजरअंदाज कर दिया है. इसी वजह से सरकार ने कॉलेजियम को फिर से अपनी सिफारिश पर विचार करने को कहा है.
(इनपुटः PTI)
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