जाने-माने इतिहासकार और पब्लिक इंटेलक्चुअल रामचंद्र गुहा ने सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल की आलोचना करते हुए कहा है कि इस कानून का एक बड़ा असर यह होगा कि इससे ब्रेन-ड्रेन बढ़ेगा. विदेश में पढ़ने वाले वैज्ञानिकों में से काफी कम लोग नफरत और धर्मांधता की धरती पर लौटना चाहेंगे. गुहा ने नोबेल से सम्मानित वैज्ञानिक वेंकटरमन रामकृष्णन की ओर से एक इंटरव्यू में नागरिकता संशोधन बिल की आलोचना किए जाने के बाद ट्वीट कर यह बात कही है.
गुहा ने शेयर किया नोबेल विजेता वैज्ञानिक वेंकटरमन का इंटरव्यू
गुहा ने अपने ट्वीट में रामकृष्णन के इस इंटरव्यू का लिंक शेयर करते हुए इसके कुछ अंश ट्वीट किए हैं. गुहा ने लिखा है कि भारत में काम कर रहे वैज्ञानिक सार्वजनिक मंचों पर एचआरडी मिनिस्ट्री (साइंस टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री भी) की ओर से अज्ञानता और झूठ फैलाने से निराश है. सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल उनके इस डर को पुख्ता करेगा कि मौजूदा सरकार विज्ञान के लिए और विनाशकारी साबित होगी.
गुहा ने ‘द टेलीग्राफ’ को रामकृष्णन के दिए उस इंटरव्यू को कोट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि जिन देशों के पास साइंस को लेकर एक खास विचारधारा थी, उन्होंने आखिर में अपने ही यहां के विज्ञान को खत्म कर दिया. जर्मनी के विज्ञान को हिटलर से उबरने में 50 लग गए.
‘द टेलीग्राफ’ के इस इंटरव्यू में वेंकट रामकृष्णन ने सिटिजन अमेंडमेंट बिल की आलोचना करते हुए कहा है कि भारत पाकिस्तान नहीं है. यह गलत दिशा में जा रहा है.
वेंकटरमन रामकृष्णन ने इस इंटरव्यू में कहा है कि एकेडेमिक्स एक ऐसा माहौल चाहते हैं जिसमें हर शख्स को उसकी प्रतिभा से पहचाना जाए. उसके प्रति कोई पूर्वाग्रह न हो और न ही कोई पक्षपात. क्योंकि विज्ञान तभी अच्छा प्रदर्शन कर सकता है जब क्षमतावान लोगों को अपना योगदान करने दिया जाए. वेंकटरमन इस वक्त कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाते हैं. वह लंदन की रॉयल सोसाइटी में भी काम करते हैं.
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