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"अकेले कमाते थे, बच्चे क्या खाएंगे?" गुजरात में पीट-पीटकर मारे गए मजदूर की पत्नी

छत्तीसगढ़ के एक प्रवासी मजदूर रामकेश्वर खेरवार काम की तलाश में पिछले साल ही अहमदाबाद गए थे

"अकेले कमाते थे, बच्चे क्या खाएंगे?" गुजरात में पीट-पीटकर मारे गए मजदूर की पत्नी
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"उन्होंने फोन करके कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है और वह हमेश के लिए घर लौटना चाहते हैं. मैंने उनसे पूछा कि क्या कोई और परेशानी है, लेकिन उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी समस्या है. उन्होंने फैसला किया था कि वह जहां काम करते थे वहां से अपना बकाया वसूल करेंगे और हमेश के लिए घर लौट आएंगे. वही आखिरी बार था, जब हमने बात की थी. वो बहुत विनम्र और मासूम आदमी थे. मुझे नहीं पता कि कोई उनके साथ ऐसा क्यों करेगा."

31 साल की इंद्रासो 19 मार्च, रविवार को रात के करीब 8 बजे अपने पति रामकेश्वर खेरवार (41) से हुई आखिरी बातचीत को याद करते हुए यह बात कहती हैं.

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इस बातचीत के घंटों बाद रामकेश्वर खेरवार को कुछ ग्रामीणों ने चोर होने के संदेह में पीट-पीट कर मार डाला. खेरवार की लिंचिंग गुजरात के खेड़ा जिले के सुधावनसोल गांव में हुई.

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के मधना गांव के प्रवासी मजदूर खेरवार काम की तलाश में पिछले साल अहमदाबाद गए थे.

उनकी पत्नी इंद्रासो ने द क्विंट को फोन पर बताया, "यह पहली बार था जब वह अकेले गए थे, नहीं तो वह हमेशा दूसरे लोगों के साथ ग्रुप में जाते थे."

खेरवार की पत्नी इंद्रसो. साथ में बेटे अर्जुन, सर्जुन और सूरज हैं.

(फोटो: विष्णुकांत तिवारी/द क्विंट)

खेड़ा के पुलिस उपाधीक्षक/DSP वीआर बाजपेयी ने द क्विंट को बताया, "ग्रामीणों को लगा कि खेरवार चोर है. इस बात की कोई स्पष्टता नहीं है कि वह उस जगह पर क्यों था. ग्रामीणों में से एक के फोन करने के बाद, हम तुरंत वहां पहुंचे और बचाया हम उन्हें पहले प्राथमिक उपचार के लिए स्थानीय अस्पताल ले गए और फिर आगे के इलाज के लिए अहमदाबाद ले गए. लेकिन इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया."

साथ काम कर चुके शख्स ने की शव की शिनाख्त

रामकेश्वर खेरवार साबरमती में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के हाई-स्पीड रेल टर्मिनल पर काम करने वाली कंपनी- बीएल कश्यप एंड संस लिमिटेड में काम करते थे. उन्होंने शुरुआत में कंपनी के अहमदाबाद ऑफिस में काम किया और कुछ समय के लिए बिहार में एक प्रोजेक्ट के लिए काम करने के लिए चले गए.

17 मार्च को, खेरवार साबरमती में कंपनी के सिविल सुपरवाइजर मनीष कुमार सिंह से मिलने गए. खेरवार पहले उनके नीचे काम कर चुके थे. उसने मनीष कुमार सिंह को बताया था कि वह काम बंद कर छत्तीसगढ़ घर लौटना चाहता है.

इंद्रसो (बाएं) और रामकेश्वर खेरवार

(फोटो: विष्णुकांत तिवारी/द क्विंट)

रामकेश्वर खेरवार के सामान से उनका फोन नंबर मिलने के बाद अहमदाबाद सिविल अस्पताल में खेरवार के शव की पहचान करने के लिए महमदाबाद पुलिस मनीष कुमार सिंह तक पहुंची.

FIR में मनीष कुमार सिंह ने उल्लेख किया कि खेरवार के सिर पर गंभीर चोटें थीं.

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परिवार ने एकमात्र कमाने वाले को खोया

माधना में रामकेश्वर खेरवार के तीन बेटे अर्जुन (17), सर्जुन (9) और सूरज (7) और उनकी पत्नी इंद्रसो हैं. उनके माता-पिता और भाई-बहन दूसरे गांव में रहते हैं. परिवार की आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ने वाले सबसे बड़े बेटे अर्जुन को अपने भाई-बहनों और अपनी मां के भविष्य की चिंता सता रही है.

इंद्रसो ने कहा कि उनके पति खेरवार ने अपने बच्चों को बेहतर जीवन और शिक्षा के लिए शहरों का रुख किया था.

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में रामकेश्वर खेरवार का घर

"मैं सरकार से हमारी मदद करने का अनुरोध करती हूं. मेरे पति अकेले कमाने वाले थे, मेरे सभी बच्चे छोटे हैं. अगर वे हमारी आर्थिक मदद करते हैं, तो मैं अपने बच्चों को खिला सकती हूं और उनके लिए शिक्षा सुनिश्चित कर सकती हूं. मै बस इतना ही मांग रही हूं."
इंद्रसो

सदमे में गुजरात का एक गांव

पुलिस ने कई आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), धारा 147 (दंगा), और धारा 148 (दंगे, घातक हथियार से लैस) सहित कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.

पुलिस ने कहा कि अब तक चार संदिग्ध विष्णु जगदीश सोढा, लालसिंह अभयसिंह सोढ़ा, सुरेश सोमाभाई सोढ़ा और गणपत जयंतीभाई डाभी को गिरफ्तार किया गया है.

सुधावनसोल गांव के रहने वाले रमेशभाई (बदला हुआ नाम) और उनका परिवार खेरवार की लिंचिंग का गवाह बना.

रमेशभाई ने कहा, “हमने रात में सड़कों पर लोगों के चिल्लाने की तेज आवाजें सुनीं और जांच करने के लिए निकले. मैंने देखा कि छह-सात लोगों का एक समूह एक आदमी को पीट रहा है और उस पर पत्थर फेंक रहा है. घंटों तक हंगामा चलता रहा जब तक कि अन्य ग्रामीणों ने हस्तक्षेप नहीं किया और हिंसा को रोका. वह डरावना था. मुझे उम्मीद है कि ऐसा कुछ फिर कभी नहीं होगा"

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सुधावनसोल के किसान जयेशभाई ने कहा कि गांव में हमेशा शांति रही है.

"हमारा गांव शांतिपूर्ण है, और मॉब लिंचिंग या प्रवासियों के उत्पीड़न की घटनाएं यहां आम नहीं हैं. हमें इस घटना के बारे में सुबह ही पता चला. हम उसे (खेरवार) नहीं जानते. हमें लगता है कि उसे गलती से चोर मान लिया गया है."

राज्य में दो दिन के अंदर इस तरह की यह दूसरी घटना है. रविवार, 19 मार्च को सांसद तालुका के जीवनपुरा गांव में एक 35 वर्षीय नेपाली नागरिक कुलमन गगन को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला था.

(इनपुट- अहमदाबाद की स्वतंत्र पत्रकार जाह्नवी सोनाइया)

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