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गुजरात: अहमदाबाद में सड़क किनारे मांसाहारी भोजन की बिक्री पर प्रतिबंध की मांग

इससे पहले राजकोट, वडोदरा में भी नगर निगम रोड किनारे मांसाहारी भोजन बेचने पर प्रतिबंध लगा चुका है.

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गुजरात (Gujarat) के अहमदाबाद (Ahmedabad) नगर निगम से सड़क किनारे मांसाहार की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. अहमदाबाद नगर निगम के राजस्व समिति के अध्यक्ष जैनिक वकील ने शनिवार को नगर निगम के कमिश्नर और स्टेंडिंग कमिटी को पत्र लिखकर सड़कों पर मांसाहारी भोजन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

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गुजरात में इससे पहले राजकोट, भावनगर और वडोदरा नगर निगमों ने सड़कों पर मांसाहारी भोजन के प्रदर्शन या बिक्री के खिलाफ निर्देश जारी किया है.

जैनिक वकील द्वारा पत्र में लिखा गया है कि, "गुजरात की पहचान और कर्णावती (अहमदाबाद) शहर की सांस्कृतिक परंपरा को ध्यान में रखते हुए शहर की सार्वजनिक सड़कों, धार्मिक और शैक्षणिक स्थानों और अन्य स्थानों पर अवैध रूप से मांसाहारी भोजन की गाड़ियां द्वारा किए गए अतिक्रमण को तुरंत हटाना अहम है."

उन्होंने आगे लिखा, "हाल के दिनों में सार्वजनिक स्थानों पर मांस, मटन और मछली की बिक्री के कारण नागरिक सड़कों पर नहीं जा सकते हैं. साथ ही यहां के निवासियों की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंची है. ऊपर से स्वच्छता, जीव दया और अपनी संस्कृति का पालन करने के लिए यह प्रतिबंध लगाना जरूरी हो गया है."

अहमदाबाद नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष हितेश बरोट ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया "आधिकारिक रूप से निर्णय लेना अभी भी लंबित है. लेकिन निगम के विभिन्न विभागों को निर्देश जारी किए गए हैं. सोमवार से जांच और नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. हालांकि हमने सितंबर में एक निर्देश जारी किया था, जिसमें बिना लाइसेंस के सभी दुकानों और गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, यह विशेष रूप से मांसाहारी लोगों के लिए है."

पत्र में आगे उल्लेख किया गया है कि जानवरों, मुर्गी और मछली की अनाधिकृत हत्या और बिक्री पर ध्यान दिया गया है. यह भी नोट किया कि खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और इसके नियमों को 2011 में किचन और स्वच्छता के लिए जारी किया गया था.

जैनिक वकील ने ऐसे अतिक्रमणों के लिए लिखित नोटिस जारी करने का आग्रह किया और मांग की कि यदि अतिक्रमण अभी भी नहीं हटाया गया तो गुजरात राज्य नगर निगम अधिनियम की धारा 331 (2), 334, 376 (6), 382 (2) और 335 के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए.

ये धाराएं मुख्य रूप से नगर आयुक्त द्वारा निजी बूचड़खानों को खोलने और लाइसेंस देने से संबंधित हैं

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