मुंबई में 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया गया है. लेकिन पाकिस्तान की तरफ से आतंकी हाफिज सईद पर ये पहली कार्रवाई नहीं है. पिछले कुछ महीनों से ही सईद पर लगातार शिकंजा कसता जा रहा था. लेकिन एक समय में पाकिस्तान में जिस हाफिज सईद की तूती बोलती थी, उसकी आज ऐसी हालत क्यों है? आखिर सत्ता में अपना दबदबा रखने वाला आतंकी हाफिज सईद आज सलाखों के पीछे क्यों है? जानिए भारत के डोजियर और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद कैसे अपने अंजाम तक पहुंचा हाफिज सईद.
पुलवामा हमले के बाद कसता गया शिकंजा
पुलवामा आतंकी हमले के बाद चारों तरफ से घिरे पाकिस्तान ने आतंकियों और उनके संगठनों पर कार्रवाई शुरू कर दी थी. जिसके बाद भारत की तरफ से बनाए गए दबाव के चलते हाफिज सईद पर भी कार्रवाई हुई थी. पाकिस्तान ने मार्च 2019 में आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा को बैन कर दिया था.
मुंबई में हुए आतंकी हमले के आरोपी आतंकी हाफिज सईद पर पाकिस्तान सरकार ने एंटी टेररिज्म एक्ट 1997 के तहत बैन लगाया था. इसके तहत उसके दूसरे संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन को भी बैन कर दिया गया था.
कब्जे में लिए थे हाफिज के ठिकाने
पाकिस्तान ने हाफिज सईद के संगठन और उसके फाउंडेशन को बैन करने के ठीक बाद एक और बड़ी कार्रवाई की थी. खबर आई थी कि पाकिस्तान ने हाफिज सईद के कई ठिकानों को अपने कब्जे में ले लिया है.
पाकिस्तान सरकार की तरफ से कहा गया था कि सरकार ने आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और उसी के फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के हेडक्वॉर्टर को अपने कब्जे में ले लिया है. इसके अलावा जमात-उद-दावा की लाहौर में मौजूद मस्जिद और मदरसे को भी सरकार ने अपने कंट्रोल में लिया है.
हालांकि पाकिस्तान की तरफ से हुई इस कार्रवाई को पुलवामा हमले का डैमेज कंट्रोल भी बताया गया. दुनियाभर में इमेज खराब होने के बाद पाकिस्तान की तरफ से आनन-फानन में ये फैसले लिए गए थे. इसी दौरान पाकिस्तान ने कई आतंकियों को हिरासत में लेने का दांव भी खेला था.
टेरर फंडिंग पर हुआ था केस
हाफिज सईद के ठिकानों पर कब्जे के बाद उस पर पाकिस्तान में एक और मामला दर्ज हुआ था. हाफिज सईद और उसके 12 सहयोगियों के खिलाफ 23 मामलों में आतंकवाद की फंडिंग के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया. यह आतंकी हाफिज सईद पर लगातार हुई तीसरी बड़ी कार्रवाई थी, जिसने उसकी कमर तोड़कर रख दी.
पाकिस्तान के आतंक रोधी विभाग (सीटीडी) ने पांच ट्रस्टों के जरिए रकम जुटाकर आतंकवाद को वित्तीय मदद मुहैया कराने के आरोप में ये मामला दर्ज किया था. पाकिस्तान की तरफ से कहा गया था कि आरोपियों की सभी संपत्तियां फ्रीज कर दी जाएंगी और राज्य के कब्जे में ले ली जाएंगी.
आतंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए बनी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने भी ऐसे आतंकियों के चलते पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था. इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसे आतंकियों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर चिंता जताई थी. ब्लैक लिस्ट होने के खतरे को लेकर भी पाकिस्तान पर दबाव है.
भारत के लिए दिखावटी कार्रवाई
पाकिस्तान अपने देश में मौजूद आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर कई बार दिखावटी कार्रवाई करता आया है. फिर चाहे वो मसूद अजहर हो या फिर हाफिज सईद, पाकिस्तान ने कई बार इन पर कार्रवाई की बात कही है. लेकिन भारत के लिए तब तक कोई राहत की खबर नहीं होगी जब तक पाकिस्तान हाफिज सईद को हमें नहीं सौंप देता है. इंटरपोल पहले ही आतंकी सईद के लिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर चुका है. वहीं भारत की तरफ से कई बार पाकिस्तान को डोजियर भी भेजे जा चुके हैं. लेकिन अभी भी मुंबई हमले का गुनहगार भारत के शिकंजे से बाहर है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)