आपके लिए पेट्रोल 90 और डीजल 80 रुपए लीटर से ज्यादा महंगा है तो क्या हुआ, अफसरों को निजी इस्तेमाल के लिए करीब करीब मुफ्त में सरकारी कार के इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है.
सीएम मनोहर लाल खट्टर के मुताबिक हरियाणा के अफसर अगर 1 रुपया किलोमीटर चुकाएं तो बेरोकटोक निजी काम के लिए सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं.
इस स्कीम की जब आलोचना हुई तो सीएम ने कहा कि अफसरों की जेब से अभी इतने मिल जाएं तो बाद में इसे बढ़ा दिया जाएगा. बुधवार को हरियाणा के मुख्य सचिव ने आदेश जारी किया था कि कार के निजी इस्तेमाल के लिए अफसरों को महीने के एक हजार रुपये चुकाने होंगे.
‘अफसरों की जेब से पैसा निकालना आसान होता है क्या?’
सिर्फ हजार रुपए में सरकारी वाहन के निजी इस्तेमाल के आदेश पर खट्टर सरकार घिरी तो खट्टर ने हंसते हुए कहा-
कम से कम उनकी जेब से पहले एक हजार रुपया महीना निकले. उसके बाद ज्यादा निकालना शुरू करेंगे. अफसरों की जेब से निकालना आसान होता है क्या? शुरू में उनकी जेब से कुछ निकले तो सही.
सरकारी गाड़ियों का निजी इस्तेमाल
खट्टर सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि हरियाणा में अब सेक्रेटरी, विभागाध्यक्षों और बोर्ड-निगमों के डायरेक्टरों समेत अन्य वरिष्ठ अफसरों को सरकारी वाहन के निजी इस्तेमाल पर पैसा देना पड़ेगा.
सरकारी वाहन से निजी कार्यक्रमों या फिर घर से दफ्तर और वापसी के लिए हर महीने एक हजार किलोमीटर तक के सफर की छूट रहेगी. इसके लिए अफसरों को हर महीने एक हजार रुपये चुकाने होंगे.
एक रुपया प्रति किलोमीटर पर सरकारी वाहन
मतलब हुआ कि सरकारी कार जमकर चलाइए सिर्फ एक रुपया प्रति किलोमीटर के खर्च पर जबकि टैक्सी में एक किलोमीटर के लिए 10 से 20 रुपये किलोमीटर तक वसूलते हैं.
लोगों को एक तरफ एक लीटर पेट्रोल के लिए 90 रुपये देने पड़ रहे हैं वहीं, हरियाणा सरकार के अफसरों को निजी इस्तेमाल के लिए 1 रुपये प्रति किलोमीटर पर सरकारी वाहन. यानी करीब-करीब मुफ्त में सरकारी अफसरों को सुविधा. सरकार का ये फैसला आम आदमी के साथ भद्दा मजाक है.
विपक्ष का कहना है कि सरकार के पास किसानों के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन सरकारी अफसरों को जनता के पैसे पर सुविधाएं दी जा रहीं हैं.
दिल्ली सरकार ने कसी थी सरकारी बाबुओं पर नकेल
बीते मई महीने में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग करने वाले बाबुओं पर सख्ती की थी. केजरीवाल सरकार ने अफसरों को निर्देश दिया था कि सभी सरकारी अफसर हलफनामा दाखिल करें कि वह सरकारी काम के लिए ही सरकारी गाड़ी इस्तेमाल करेंगे.
केजरीवाल सरकार ने यह फैसला उस वक्त लिया था, जब उन्हें खबर लगी थी कि समाज कल्याण विभाग के कुछ अफसर घर से ऑफिस और ऑफिस से घर जाने के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल कर रहे थे. इसके बावजूद ये अफसर ट्रेवल अलाउंस का दावा भी कर रहे थे.
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