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हरियाणा: दो छात्राओं को आपस में हुआ प्यार, छोड़ दिया घर-परिवार, शादी की तैयारी

Supreme Court ने 6 सितंबर 2018 को सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था.

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हरियाणा (Haryana) के पानीपत (Panipat) की दो छात्राओं के बीच प्यार इस हद तक बढ़ गया कि वे अपने घरों से भागकर दिल्ली (Delhi) के एक एनजीओ में पहुंच गईं. उन्होंने वहां की टीम से कहा कि उनकी शादी करा दो. जिसको लेकर एनजीओ के सदस्यों ने पानीपत जिला महिला संरक्षण और बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता से संपर्क किया.

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इसके बाद दोनों छात्राओं को पानीपत महिला थाने बुलाया गया. अधिकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन वह कहती रहीं कि दोनों एक-दूसरे को दिल से प्यार करती हैं और पति-पत्नी की तरह रहना चाहती हैं.

दोनों को दिल्ली एनजीओ भेजा गया

दोनों छात्राओं की जिद के चलते उनके घरवालों को सूचना दी गई. इसके बाद दोनों के बालिग होने की शर्त पर घरवालों और अधिकारियों ने अपनी सहमति से दोनों पक्षों से लिखित में लेकर दोबारा दिल्ली एनजीओ को भेज दिया. मौजूदा वक्त में दोनों लड़कियां दिल्ली के उसी एनजीओ में रह रही हैं.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर 2018 को सहमति से समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था. इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 का वह प्रावधान भी हटा लिया गया, जिसके तहत समलैंगिक संबंध बनाने की इजाजत नहीं थी.

महिला सुरक्षा अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि यह शहर के दो अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ने वाली एक ही समुदाय की दो छात्राओं की प्रेम कहानी है. दोनों दूर के रिश्ते में भी जुड़ी हैं. इसमें एक 20 वर्षीय बीएससी मेडिकल अंतिम वर्ष की है और एक 19 साल की छात्रा दूसरे कॉलेज में पढ़ती है.

दोनों ने आपस में सलाह की, जिसके बाद 19 साल की छात्रा ने अपना Gender Affirmation Surgery का फैसला किया. वह पति बनेगी और 20 साल की छात्रा उसकी पत्नी बनेगी.

Gender Affirmation Surgery कराने में करीब 4 लाख का खर्च

काउंसलिंग के दौरान पति की भूमिका निभाने को राजी हुई छात्रा ने कहा कि वह अपने परिवार वालों को  Gender Affirmation Surgery के लिए राजी कर लेगी. उसका कहना है कि उन्हें पता चला है कि ऑपरेशन में 3-4 लाख रुपये का खर्च आता है. जरूरत पड़ी तो पैसा जुटाने का काम करेगी.

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एनजीओ में 2 महीने तक रहना, खाना फ्री

 Gender Affirmation Surgery  होने तक छात्रा दिल्ली के एनजीओ में ही रहेंगी. एनजीओ के नियम के मुताबिक ऐसे मामलों में 2 महीने तक रहने और खाने की मुफ्त व्यवस्था है. इसके बाद वहां ठहरने की विशेष अनुमति ली जाती है, जो सभी के लिए उपलब्ध नहीं है. इन 2 महीनों के लिए वह पैसे इकट्ठा करने की कोशिश करेगी.

दोनों छात्राओं ने अधिकारियों और एनजीओ को लिखित बयान देकर अपने परिवार से नाता तोड़ लिया है. इसके बाद घरवालों ने उन्हें आश्वासन के तौर पर भविष्य में कुछ भी न बोलने की बात भी कही. साथ ही ये भी लिखा कि वे दोनों भी अब परिवार से कभी संपर्क नहीं करेंगी.

(इनपुट- परवेज खान)

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