केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लेटर लिखकर कोरोना लॉकडाउन के बीच फंसे प्रवासी कामगारों की परेशानी कम करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया है. केंद्र ने कहा है कि प्रवासी कामगारों के बीच महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की खास जरूरतों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा सकता है.
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि फंसे हुए कामगारों के घर लौटने की सबसे बड़ी वजह COVID-19 का खतरा और आजीविका गंवाने की आशंका है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रवासी मजदूरों की चिंताओं को दूर करने के क्रम में, अगर निम्न कदमों को लागू किया जाता है तो मैं आभारी रहूंगा.”
गृह सचिव ने सुझाव दिया कि राज्यों और रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के जरिए और स्पेशल ट्रेन का प्रबंध किया जाए.
उन्होंने यह भी कहा कि साफ-सफाई, भोजन और स्वास्थ्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ठहरने की जगहों की भी व्यवस्था की जानी चाहिए. भल्ला ने कहा कि बसों और ट्रेनों के चलने के बारे में और ज्यादा स्पष्टता होनी चाहिए क्योंकि स्पष्टता के अभाव में और अफवाहों के चलते श्रमिकों में बेचैनी देखी गई है.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के अधिकारी पैदल चल रहे मजदूरों को ठहरने के निर्धारित स्थानों पर या परविहन के माध्यम उपलब्ध कराकर पास के बस अड्डे या रेलवे स्टेशन तक भेज सकते हैं, प्रवासियों के पते और फोन नंबर लिखें जो कि आगे संपर्कों का पता लगाने में मददगार साबित हो सकते हैं.
भल्ला ने कहा कि ठहरने की जगहों पर एनजीओ के प्रतिनिधियों को काम पर लगाया जा सकता है. गृह सचिव ने कहा कि इसके अलावा अंतरराज्यीय सीमा पर प्रवासी मजदूरों को ले जा रही बसों को जाने की अनुमति दी जाए, श्रमिक जहां हैं उन्हें वहीं रोकने के लिए खाने, स्वास्थ्य सुविधाओं और काउंसलिंग की व्यवस्था की जाए.
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