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कंधार कांड: हाईजैकिंग के इन 19 सालों में दुनिया ने कैसे चुकाई कीमत

आज ही के दिन 19 साल पहले 24 दिसंबर 1999 को देश थरथरा उठा था.

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आज ही के दिन 19 साल पहले 24 दिसंबर 1999 को देश थरथरा उठा था. इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी- 814 जो काठमांडू से नई दिल्ली के लिए आ रही थी, 176 पैसेंजर और 15 क्रू मेंबर समेत हाईजैक कर ली गई.

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पाकिस्तानी आतंकी संगठन हरकत-उल- मुजाहिद्दीन ने इस हाईजैक की जिम्मेदारी ली और भारतीय जेलों में कैद तीन आतंकियों को रिहा करने को कहा. तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने आतंकियों की ये बात माननी पड़ी.

कौन थे वो तीन खूंखार आतंकी?

कैसे हुई थी हाईजैकिंग?

शाम के तकरीबन साढ़े पांच बजे प्लेन को हाईजैक किया गया. उस वक्त आईसी 814 भारतीय एयरस्पेस में ही थी. हाईजैकिंग के बाद प्लेन को सबसे पहले अमृतसर में लैंड कराया गया. वरिष्ठ पत्रकार चंदन नंदी बताते हैं कि यही वो वक्त था जब सरकार कमजोर पड़ गई थी. उनके मुताबिक जिस वक्त ये प्लेन अमृतसर में था उसी वक्त सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन कड़ा फैसला लेने के बजाय सरकार के हाथ- पांव ठंडे पड़ गए.

अमृतसर, दुबई और फिर कंधार

अमृतसर में लैंड करने के बाद आईसी-814 ने लाहौर के लिए उड़ान भरी. फिर दुबई पहुंची जहां 176 में से 27 यात्रियों को रिहा कर दिया गया लेकिन एक यात्री की हत्या कर दी गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वाजपेयी सरकार दुबई एयरपोर्ट पर कमांडो स्टाइल का ऑपरेशन प्लान कर रही थी लेकिन यूएई सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी.

आखिरकार प्लेन अफगानिस्तान के कंधार में लैंड किया गया. कंधार उस वक्त तालिबान के कब्जे में था. हथियारबंद तालिबानियों ने जहाज को चारों तरफ से घेर रखा था. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान जो जल्द से जल्द दुनिया भर में कुख्यात होना चाहता था, उसने आतंकियों और भारत सरकार के बीच समझौता कराने की पेशकश की थी. लेकिन भारत ने मना कर दिया था.

आतंकियों को हासिल था तालिबान का समर्थन

भारतीय एजेंसियों के पास ये पुख्ता जानकारी थी कि आतंकियों को तालिबान का समर्थन हासिल था. जबरदस्त घरेलू दबाव के बावजूद, अधिकारियों की एक टीम जिसकी अगुवाई तत्कालीन विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी विवेक काटजू कर रहे थे आतंकियों से बात करने के लिए कांधार रवाना हुए. इस टीम में रॉ के भी अधिकारी मौजूद थे. इस टीम का मकसद था किसी भी कीमत पर यात्रियों को सुरक्षित वतन वापस लाना.

31 दिसंबर , 1999 को भारत ने तीनों खूंखार आतंकियों को रिहा कर दिया और उसके बदले आतंकियों ने यात्रियों को छोड़ा.

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