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‘हमें किसी का डर नहीं’: मॉब लिंचिंग से जुड़ी गुस्सैल फौज की कहानी

बीजेपी की सरकार आने के बाद युवाओं को भरोसा है कि गाय की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने से उनका नुकसान नहीं होगा

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भारत
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बैचलर बम, बेरोजगारी, सोशल मीडिया पर भड़काऊ मैसेज- इन तीनों ने मिलकर हिंदू युवाओं की एक ऐसी फौज तैयार कर दी है, जिसके लिए अपने धर्म को बचाने के लिए मरना-मारना आम बात होती जा रही है. हाल के दिनों में मॉब लिंचिंग की कई घटनाओं को इसी गुस्सैल फौज के सदस्यों ने अंजाम दिया है.

वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे युवाओं की ट्रेनिंग होती है, जिसमें गाय और हिंदू लड़कियों को 'परायों' से कैसे बचाया जाए, इसके तौर-तरीके सिखाए जाते हैं.

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ट्रेनिंग में इस बात पर जोर होता है कि इतिहास में हिंदू समाज के साथ अन्याय हुआ है और अब उसे ठीक करने का समय आ गया है. अपनी आक्रमकता को वो इस बात से जायज ठहराते हैं कि ये सारे काम, जिसमें तथाकथिक गाय के स्मगलर को या ‘लव जिहाद’ में जुड़े लोगों को ‘सबक सिखाना’ शामिल है, वो हिंदू समाज की रक्षा के लिए कर रहे हैं.

वाशिंगटन पोस्ट के संवाददाताओं ने उत्तर प्रदेश के आगरा में कुछ युवाओं से बात की, जिनका कहना है कि पहले कानून हाथ में लेने में डर लगता था. लेकिन राज्य में बीजेपी की सरकार आने के बाद उन्हें भरोसा हो गया है कि गाय की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने से भी उनका नुकसान नहीं होगा.

उनका कहना है कि बड़े हिंदू संगठनों से जुड़े पदाधिकारी उनको भरोसा दिला चुके हैं कि ऐसे काम करने के लिए कानून तोड़ा भी जाता है, तो इसका नुकसान उन्हें नहीं होगा.

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस फौज में वो लोग शामिल हैं, जिनके पास नौकरी नहीं है, जिनकी शादी नहीं हुई है. आक्रामक हिंदुत्व से जुड़कर इनको लगता है कि इन्हें कुछ काम मिल गया है.

सोशल मीडिया के भड़काऊ मैसेज इनकी आक्रामकता की आग में घी डालने के काम आते हैं. इनमें से कुछ रात में गलियों में पहरा देते हैं और गाय के तथाकथित स्मगलर को रंगे हाथ पकड़ने की कोशिश करते हैं.

मोरल पुलिसिंग में इनको मजा आता है और इनको लगता है कि मासूम हिंदू लड़कियों को जाल में फंसाने की मुस्लिम की ओर से एक साजिश चल रही है, जिसको हर हाल में रोकना है. इनके निशाने पर इंटरफेथ कपल भी होते हैं, जिनको हर तरह से तंग करने की कोशिश होती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सेक्स रेशियो में भारी अंतर की वजह से एक बड़ी तादाद उन लड़कों की है, जिनकी शादी नहीं हुई है. आने वालों में बैचलर्स की संख्या बढ़ने वाली है. उस पर से बेरोजगारी की मार. ऐसे में इनके पास समय की कोई कमी नहीं है. और ये हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों के सिपाही बन गए हैं. एक खास एजेंडा को आगे बढ़ाना ही इनका मकसद हो गया है. बिना कोई सवाल किए, और उस पर से राजनीतिक आकाओं की शह.

हमें ध्यान रहे कि वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट काफी जांच-परखकर की जाती है.

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