15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीन और भारत की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प में कम से कम 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए. रिपोर्ट्स का कहना है कि चीन के भी कई सैनिक मारे गए हैं. डिफेंस एनालिस्ट अजय शुक्ला ने NDTV से बातचीत में दावा किया कि कई भारतीय सैनिक चीन की कस्टडी में भी हैं. अब इंडियन आर्मी ने साफ कहा है कि कोई भी सैनिक लापता नहीं हुआ है.
इंडियन आर्मी ने कहा, "न्यू यॉर्क टाइम्स में 17 जून को 'In China-India Clash, Two Nationalist Leaders with Little Room to Give' नाम के आर्टिकल के संबंध में ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि कोई भी भारतीय सैनिक लापता नहीं है."
इससे पहले अजय शुक्ला ने चैनल बताया कि किस तरह कम से कम 10 भारतीय चीन की कस्टडी में हैं.
कई भारतीय ऐसे हैं जो जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. कम से कम 10 भारतीय चीन की कस्टडी में हैं और बातचीत अभी भी जारी है.अजय शुक्ला
शुक्ला ने कहा, "जहां मुमकिन हो पा रहा है चीन अधिकतम निर्दयता दिखा रहा है. यही चीज मई के पहले हफ्ते में पैंगोंग सो में देखने को मिली थी जब 72 भारतीय सैनिक अस्पताल में भर्ती हुए थे, जिनमें एक कमांडिंग अफसर भी थे जो अब भी गंभीर रूप से घायल हैं."
शुक्ला का कहना है कि चीन 'ज्यादा से ज्यादा निर्दयता और ताकत का प्रदर्शन कर मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व' का इस्तेमाल करना चाहता है.
और भारतीय सैनिकों के घायल होने की रिपोर्ट्स
द हिंदू ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि 4 जवान 'गंभीर रूप' से घायल है और 58 जवानों को चोटें आई हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि 'इसके अलावा लेह मिलिट्री अस्पताल में भर्ती 18 घायलों की हालत स्थिर है.' रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि कुछ जवानों का पता नहीं चल रहा है और ऐसा लगता है कि वो चीन की कस्टडी में हैं.
झड़प के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में भारतीय जवानों की मौत का आंकड़ा 3 से बढ़कर 20 हो गया था. सेना ने बताया था कि कई घायल जवान गलवान घाटी के खराब और सर्द मौसम की वजह से मारे गए हैं.
ये कहा जा रहा था कि भारतीय सेना को चीन की तरफ से होने वाली गतिविधि की भनक नहीं थी. इस पर शुक्ला ने NDTV से कहा,
चीन बड़ी संख्या में सैन्य बल जुटाने में कामयाब हुआ और उसने भारतीय सेना के लिए घात लगाई और फिर सब खराब होता चला गया. अभी भी मौत हुई हैं, अभी भी घायल हैं इसलिए स्थिति हल नहीं हुई है.
द हिंदू की रिपोर्ट में घटनाक्रम बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू और निहत्थे सैनिकों का एक छोटा दल चीन की सेना के पीछे हटने की गतिविधि पर नजर रखे हुए थे. तभी उन पर चीन की सेना ने रॉड और पत्थरों से हमला कर दिया. भारतीय जवान संख्या में कम थे. ऐसा माना जा रहा है कि कुछ सैनिक गलवान नदी में भी गिर गए.
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