विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन की सेना के शीर्ष कमांडर पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया को लेकर 9 दौर की बातचीत कर चुके हैं और भविष्य में भी ऐसी वार्ताएं की जाती रहेंगी. जयशंकर ने कहा कि अब तक हुई बातचीत का जमीन पर कोई असर दिखाई नहीं दिया है.
विदेश मंत्री ने शनिवार को विजयवाड़ा में कहा, ''सैनिकों के पीछे हटने का मुद्दा बहुत पेचीदा है. यह सेनाओं पर निर्भर करता है. आपको अपनी (भौगोलिक) स्थिति और घटनाक्रम के बारे में पता होना चाहिए. सैन्य कमांडर इस पर काम कर रहे हैं.''
जयशंकर ने कहा, ‘’सेना के कमांडर अब तक नौ दौर की वार्ताएं कर चुके हैं. हमें लगता है कि कुछ प्रगति हुई है लेकिन इसे समाधान के तौर पर नहीं देखा जा सकता. जमीन पर इन वार्ताओं का कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया है.’’
इसके अलावा जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले साल अपने-अपने समकक्षों से बात की थी और इस बात पर सहमति बनी थी कि कुछ हिस्सों में सैनिकों को पीछे हटना चाहिए.
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच कई महीनों से गतिरोध जारी है. दोनों देशों के बीच मौजूदा विवाद शुरू होने की बात करें तो 5 मई की शाम चीन और भारत के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. यह झड़प अगले दिन भी जारी रही, जिसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए थे. मगर गतिरोध फिर भी बरकरार रहा.
इसके बाद गलवान घाटी में 15 जून को दोनों देश की सेनाओं के बीच कई दशक में पहली बार हिंसक झड़प हुई. इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीनी सैनिकों के भी इस झड़प में हताहत होने की खबरें आई थीं.
गलवान की घटना के बाद गतिरोध से बाहर निकलने के लिए भारत और चीन के बीच अलग-अलग स्तर पर कई बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.
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