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धार्मिक आजादी के लिहाज से भारत ‘खास चिंता वाला देश’: US कमीशन

पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने भारत को CPC लिस्ट में डालने की USCIRF की सिफारिश को अस्वीकार कर दिया था.

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भारत
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अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी पर अमेरिकी कमीशन यानी यूनाइडेट स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रीलिजस फ्रीडम (USCIRF) ने लगातार दूसरे साल स्टेट डिपार्टमेंट को सिफारिश की है कि वह भारत को “कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न” (CPC) वाले लिस्ट में रखें. कमीशन ने ये सिफारिश साल 2020 में भारत में धार्मिक आजादी के “सबसे बुरे उल्लंघन” के कारण की है.

अमेरिकी सरकार के लिए ये सिफारिश बाध्यकारी नहीं है. पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने भारत को CPC लिस्ट में डालने की USCIRF की सिफारिश को अस्वीकार कर दिया था.
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कमीशन के मुताबिक चिंता के मुख्य विषय

कमीशन ने कहा कि 2020 में भी भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति नकारात्मक ही है. उनके मुताबिक, बीजेपी के नेतृत्व में भारत सरकार हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को बढ़ावा दे रही है, जिसके कारण यहां धार्मिक स्वतंत्रता का लगातार और भयंकर रूप से उल्लंघन हो रहा है.

कमीशन के मुताबिक, 2020 में भारत में हुई ये बातें चिंता का विषय है:

  • 2020 की शुरुआत में धार्मिक रूप से विवादित नागरिकता कानून (CAA) पास किया गया, जिसमें दक्षिण एशियाई देशों के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक लोगों को फास्ट ट्रैक नागरिकता देने का प्रावधान किया गया. इस कानून के विरोध में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए और स्टेट तथा नॉन स्टेट हिंसा भड़की जिनके मुख्य लक्ष्य मुख्यतः मुसलमान थे.
  • फरवरी 2020 में हिंदू राष्ट्रवाद से भरी और सरकार समर्थित भीड़ ने दिल्ली में पिछले तीन दशकों में सबसे हिंसात्मक दंगे किए. इसमे 50 से ज्यादा लोग मारे गए और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए. मरने वालों में ज्यादातर मुस्लिम ही थे.
  • NRC पर रिपोर्ट ने कहा कि बहिष्कृत होने का परिणाम संभवत भयानक होगा. असम में बना डिटेंशन सेंटर इसका उदाहरण है. 2019 में असम में NRC लागू करने के कारण 19 लाख लोगों (हिंदू और मुसलमान दोनों) को नागरिकता खोनी पड़ी.
  • 2020 के अंत में उत्तर प्रदेश में अन्य धर्मों में विवाह को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाया गया. बाद में ऐसे कानून अन्य राज्यों में भी लाए गए.
  • तबलीगी जमात को रेखांकित करते हुए USCIRF ने कहा कि कोविड-19 महामारी के शुरुआत में धार्मिक अल्पसंख्यक के प्रति भ्रामक और नफरती बातें फैलाई गई और यह बात आम होती जा रही है.

कमीशन ने क्या सिफारिश की?

  • भारत से द्विपक्षीय और बहुपक्षीय फोरम (जैसे क्वॉड) में इंटरफेथ डायलॉग और ‘राइट टू ऑल कम्युनिटी’ को सरकार प्रमोट करें.
  • अमेरिका-भारत द्विपक्षीय स्पेस में भी यह मुद्दा उठाया जाए, जैसे सुनवाई आयोजित करके, लेटर लिखकर या संसदीय डेलिगेशन को भारत भेजकर.

एक सदस्य जॉनी मूरे, जो कि ‘द कांग्रेस ऑफ क्रिश्चन लीडर’ के अध्यक्ष हैं, ने अन्य 9 सदस्यों से असहमति जताते हुए भारत को CPC नहीं बल्कि Crossroads लिस्ट में रखने की बात कही. उन्होंने लिखा कि भारत का विविधतापूर्ण व्यक्तित्व है और उसका धार्मिक जीवन ही उसकी सबसे महान ऐतिहासिक खूबसूरती रहा है.

पिछले साल भारत ने USCIRF के सदस्यों को वीजा देने से इनकार कर दिया था, जो भारत में आकर मूल्यांकन करना चाहते थे.
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अन्य देशों पर क्या रहा स्टैंड?

कमीशन ने 2021 में CPC में रूस, वियतनाम और सीरिया को जोड़ने की सिफारिश की है. पिछली बार की ही तरह इस बार भी इस लिस्ट में चीन, उत्तरी कोरिया, पाकिस्तान, तजाकिस्तान सऊदी अरब, म्यांमार, ईरान, इरिट्रिया और तुर्कमेनिस्तान को रखा गया है.

दूसरी ओर ,अफगानिस्तान, इराक, कजाकिस्तान, अजरबैजान, मिस्त्र, इंडोनेशिया, मलेशिया, तुर्की और उज्बेकिस्तान को स्पेशल वॉच लिस्ट में रखा गया है. पिछले साल की तरह क्यूबा और निकारागुआ भी इसी लिस्ट में है.

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