ADVERTISEMENTREMOVE AD

सिंधु आयुक्तों की बैठक खत्म,पाक का क्या रुख रहा,MEA ने क्या बताया?

सिंधु जल समझौते में दोनों देशों के आयोगों की साल में कम से कम एक बार बैठक का प्रावधान है.

Updated
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर दिल्ली में दो दिवसीय बैठक बुधवार को खत्म हो गई. दोनों पक्षों के बीच इससे पहले अगस्त 2018 में लाहौर में बैठक हुई थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैठक के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में पाकल दुल और लोअर कलनाई पनबिजली प्रोजेक्ट के डिजाइनों को लेकर आपत्तियां जताईं और लद्दाख में शुरू की गईं पनबिजली परियोजनाओं के बारे में अतिरिक्त जानकारी मांगी.

बता दें कि इससे पहले भी पाकिस्तान कह चुका है कि उसे पाकल दुल , रतले और लोअर कलनई प्रोजेक्ट के डिजाइन पर गंभीर चिंताएं हैं. वो आरोप लगा चुका है कि भारत जलाशयों का इस्तेमाल जानबूझकर कृत्रिम पानी की कमी पैदा करने के लिए कर रहा है या फिर इससे पाकिस्तान में बाढ़ जैसी स्थिति भी पैदा हो सकती है.

पाकल दुल पनबिजली प्रोजेक्ट (1000 मेगावॉट) जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चिनाब की सहायक मरुसूदर नदी पर प्रस्तावित है. वहीं, लोअर कलनाई प्रोजेक्ट किश्तवाड़ और डोडा जिलों में प्रस्तावित है.

0
पाकल दुल और लोअर कलनाई प्रोजेक्ट्स को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, ‘’भारतीय पक्ष ने कहा कि ये प्रोजेक्ट संधि के प्रावधानों का पूरी तरह पालन करते हैं और उसने अपनी स्थिति के समर्थन में तकनीकी डेटा सामने रखा.’’ 

मंत्रालय ने बताया, ''पाकिस्तानी पक्ष ने भारत से अन्य भारतीय जल विद्युत परियोजनाओं के डिजाइन के बारे में जानकारी शेयर करने के लिए अनुरोध किया है, जिनको विकसित करने की योजना बनाई जा रही है. भारतीय पक्ष ने भरोसा दिलाया कि संधि के प्रावधानों के तहत जरूरत पड़ने पर जानकारी दी जाएगी.''

इसके अलावा विदेश मंत्रालय ने बताया, ''बैठक सौहार्दपूर्ण तरीके से हुई. दोनों आयुक्तों ने संधि के तहत द्विपक्षीय चर्चा के जरिए मुद्दों को हल करने की कोशिश में ज्यादा बातचीत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीखों पर पाकिस्तान में पीआईसी (स्थायी सिंधु आयोग) की अगली बैठक आयोजित करने पर सहमति बनी है.''

बैठक में शामिल हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के सिंधु आयोग के आयुक्त पीके सक्सेना ने किया और इसमें केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और राष्ट्रीय जल विद्युत ऊर्जा निगम के उनके सलाहकार शामिल थे. पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सिंधु आयोग (पाकिस्तान) के आयुक्त सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह ने किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्यों अहम थी यह बैठक?

अगस्त, 2019 में भारत सरकार की ओर से, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल-370 के प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने के बाद दोनों आयोगों की यह पहली बैठक थी.

यह बैठक इसलिए भी अहम थी क्योंकि दोनों देशों की सेनाओं की ओर से नियंत्रण रेखा और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष विराम समझौते का कड़ाई से पालन करने के संबंध में पिछले महीने की गई घोषणा के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच यह पहली महत्वपूर्ण बातचीत थी.

भारत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से इन इलाकों में कई पनबिजली प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है. इनमें लेह क्षेत्र में दुरबुक श्योक (19 मेगावाट क्षमता), शांकू (18.5 मेगावॉट क्षमता), नीमू चिलिंग (24 मेगावॉट क्षमता), रोंगदो(12 मेगावॉट क्षमता), रत्न नाग (10.5 मेगावॉट क्षमता) और कारगिल में मांगदम सांगरा (19 मेगावॉट क्षमता), कारगिल हंडरमैन (25 मेगावॉट क्षमता) व तमाश (12 मेगावॉट क्षमता) प्रोजेक्ट शामिल हैं.

सिंधु जल समझौते में दोनों देशों के आयोगों की साल में कम से कम एक बार बैठक का प्रावधान है. यह बैठक बारी-बारी से भारत और पाकिस्तान में होती है. पिछले साल मार्च में दिल्ली में होने वाली बैठक COVID-19 महामारी की वजह से स्थगित कर दी गई थी.

भारत ने जुलाई 2020 में COVID-19 महामारी के चलते सिंधु जल समझौते से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ऑनलाइन बैठक करने का प्रस्ताव किया था, लेकिन पाकिस्तान ने बैठक अटारी सीमा चौकी पर करने पर जोर दिया जिसे भारत ने महामारी के मद्देनजर अस्वीकार कर दिया था.

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1960 में हुए सिंधु जल समझौते के तहत सतलुज ब्यास और रावी नदी का पानी भारत को जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को मिलता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×