भारत में कोरोना वायरस मामलों की संख्या 1600 से ऊपर जा चुकी है और 35 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. इंडियन आर्मी ने कई जगहों पर 'क्वारंटीन वेलनेस फैसिलिटी' शुरू कर दी है और इस महामारी से लड़ने के लिए रिसर्च और रणनीति खोजना भी शुरू कर दिया है.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत आने वाले द सेंटर फॉर ज्वॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (CENJOWS) ने ‘A Counter Pandemic Strategy’ जारी की है. ये स्ट्रेटेजी ब्रिगेडियर संजय विश्वासराव ने बनाई है. ब्रिगेडियर विश्वासराव पाकिस्तान में 2017 से 2019 तक भारत के मिलिट्री और डिफेंस अताशे थे.
19 पेज के इस रिसर्च पेपर में कहा गया है कि भारत सफलतापूर्वक महामारी को कंट्रोल कर सकता है. इसके लिए देश को एक स्वदेशी स्ट्रेटेजी चाहिए जो कोरोना वायरस के लिए वातावरण प्रतिकूल बना देगी.
'भारत की रणनीति सामाजिक, राजनीतिक हालात के मुताबिक'
रिसर्च पेपर ऐसे समय में जारी किया गया है जब दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामलों की तादाद 8 लाख से ऊपर जा चुकी है. भारत में इसका प्रकोप कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी.
लॉकडाउन की तरफ इशारा करते हुए रिसर्च में कहा गया है कि भारत की महामारी से लड़ने की रणनीति देश की आर्थिक, टेक्नोलॉजिकल, सामाजिक, सांस्कृतिक, डेमोग्राफिक और राजनीतिक हालात मुताबिक होना चाहिए.
रिसर्च की महत्वपूर्ण बातों में ये भी कहा गया है कि भारत की अलग संस्कृति, राष्ट्रवाद के साथ ही स्वच्छ भारत, इंटरनेशनल योग दिवस, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रम कोरोना वायरस के असर को कम कर सकते हैं.
'भारत को विदेशी वाहकों से अलग कीजिए'
रिसर्च पेपर में सुझाया गया है कि भारत को विदेशी वाहकों से आइसोलेट किया जाना चाहिए और समृद्ध 20% लोगों पर फोकस करना चाहिए, जिनकी ट्रेवल हिस्ट्री हो. इसके अलावा 20% हेल्थ वर्कर्स पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे भीड़भाड़ वाली जगहों पर संक्रमण न फैले. ये काम भारत सरकार स्टेज 2 के दौरान पिछले दो हफ्तों से कर रही है.
वहीं, रिसर्च में मांग की गई है कि देश में वायरस के लिए प्रतिकूल वातावरण बनाया जाए. ये सोशल डिस्टेंसिंग को स्वच्छ भारत, योग दिवस, डिजिटल इंडिया जैसे प्रोग्राम के जरिए बढ़ावा देकर किया जा सकता है.
आखिर में रिसर्च प्रशासन से महामारी से लड़ने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने को कहती है. इसके लिए प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट तक आसान पहुंच, UPI के जरिए सैलरी का भुगतान और मीडिया के जरिए जागरुकता अभियान जैसे कदम उठाए जा सकते हैं.
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