ADVERTISEMENTREMOVE AD

इंदु मल्होत्रा बनीं सुप्रीम कोर्ट की जज, CJI ने दिलाई पद की शपथ

सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाली सातवीं महिला हैं इंदु मल्होत्रा

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

सीनियर वकील इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट की जज बन गईं हैं. शुक्रवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने उन्हें पद की शपथ दिलाई. इसके साथ ही वह देश की पहली ऐसी महिला वकील बन गयी हैं, जो बार से सीधे देश की शीर्ष अदालत में न्यायाधीश नियुक्त हुईं हैं.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (2) में निहित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की जज नियुक्त किया है. इंदु मल्होत्रा को 2007 में सीनियर वकील बनाया गया था. अब वह देश की पहली ऐसी महिला वकील बन गयी हैं जो सीधे देश की शीर्ष अदालत में न्यायाधीश नियुक्त हुईं हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुप्रीम कोर्ट जज बनने वाली सातवीं महिला हैं इंदु मल्होत्रा

सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने 10 जनवरी को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की थी. कोलेजियम ने मल्होत्रा के साथ-साथ उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ के नाम को भी सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने की सिफारिश भेजी थी. लेकिन केन्द्र ने कोलेजियम से जस्टिस जोसेफ के नाम पर पुनर्विचार करने को कहा है.

देश को आजादी मिलने के बाद से सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाली इंदु मल्होत्रा सातवीं महिला होंगी. लेकिन बाकी के छह जज हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं. फिलहाल, जज आर भानुमति ही सुप्रीम कोर्ट में एकमात्र महिला जज हैं. उनके अलावा अब सुप्रीम कोर्ट के कुल 25 जजों में इंदु दूसरी महिला जज हैं.

0

ये महिलाएं रहीं हैं सुप्रीम कोर्ट की जज

न्यायमूर्ति एम फातिमा बीबी सुप्रीम कोर्ट में जज बनने वाली पहली महिला थीं. उन्हें सुप्रीम कोर्ट की 1950 में स्थापना के 39 साल बाद नियुक्त किया गया था.

  1. न्यायमूर्ति एम फातिमा बीबी
  2. जस्टिस सुजाता एम मनोहर
  3. जस्टिस रूमा पाल
  4. जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा
  5. जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई

मौजूदा वक्त में जस्टिस भानुमति सुप्रीम कोर्ट की जज हैं.

जस्टिस ज्ञानसुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने 2013 में एक नया इतिहास तब रचा, जब दोनों ने पूरे दिन पूर्णत: महिला पीठ के रूप में सुनवाई की थी. सुप्रीम कोर्ट के 67 साल के इतिहास में ऐसा दूसरा अवसर तब आया, जब जस्टिस देसाई और जस्टिस भानुमति ने इस तरह की पीठ में सुनवाई की.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×