भारत और चीन के बीच पिछले दिनों जारी तनाव के बाद चीनी कंपनियों के खिलाफ एक्शन की बात कही गई. कई चीनी ऐप्स को बैन करने का सिलसिला अभी भी जारी है. सिर्फ ऐप्स ही नहीं, देशभर में चीन से जुड़ी हर चीज का विरोध देखा गया. लेकिन इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में चीनी मोबाइल फोन कंपनी सबसे बड़ी स्पॉन्सर होगी. यानी पिछले सीजन की तरह इस बार भी वीवो के पास ही आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सरशिप होगी. इससे पहले माना जा रहा था कि इंडियन क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड चीनी कंपनी को इस बड़ी लीग के स्पॉन्सरशिप से हटा सकती है.
चीन के खिलाफ देशभर में बने माहौल के बाद सभी यही उम्मीद जता रहे थे कि इस बार वीवो आईपीएल के साथ नजर नहीं आने वाला है. पहले ये भी कहा गया था कि बोर्ड इसे लेकर विचार कर रहा है. लेकिन आखिरकार जब रविवार को तारीखों की घोषणा हुई तो बताया गया कि वीवो ही टाइटल स्पॉन्सर होगा.
हालांकि क्रिकेट बोर्ड की तरफ से इसके पीछे करार का तर्क दिया जा रहा है. जबकि बीसीसीआई ने जून में हुई गलवान घाटी की हिंसा के बाद एक ट्वीट में ये कहा था कि,
सीमा पर हुई झड़प, जिसमें हमारे जवानों की जान गई, उसे देखते हुए आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की मीटिंग बुलाई गई है. जिसमें आईपीएल के सभी स्पॉन्सर्स और उनके कॉन्ट्रैक्ट की समीक्षा की जाएगी.
सोशल मीडिया पर उठ रहे सवाल
पहले चीनी कंपनियों के बहिष्कार की बात और अब दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग्स में से एक आईपीएल में चीनी कंपनी को सबसे बड़ा स्पॉन्सर बनाए रखने पर लोगों ने कई सवाल खड़े किए हैं. सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं कि आखिर क्यों ऐसा किया गया. वहीं इसे लेकर मीम भी खूब बने.
इस खबर के सामने आने के बाद ट्विटर पर कई लोगों ने बायकॉट आईपीएल के नाम से भी ट्वीट किए. जो ट्रेंडिंग में भी आया. लोगों का कहना है कि जब बाकी चीजों का बहिष्कार हो रहा है तो बीसीसीआई अपने करोड़ों रुपये के लिए वीवो को आईपीएल का मेन स्पॉन्सर क्यों बना रहा है?
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)