इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने एक बार फिर एक अहम सैटेलाइट लॉन्च किया है. इसरो ने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सैटेलाइट-एमिसैट को लॉन्च किया है. इस सैटेलाइट एमिसैट (EMISAT) को रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) के लिए बनाया गया है. इस सैटेलाइट को पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (PSLV) से अंतरिक्ष में भेजा गया. सोमवार सुबह ठीक 9:30 बजे से लॉन्चिंग की उलटी गिनती शुरू हुई. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से यह सैटेलाइट लॉन्च की गई. जानिए इस सैटेलाइट से जुड़ी अहम बातें
- एमिसैट (EMISAT) के साथ कुल 28 अन्य कस्टमर सैटेलाइट भी अंतरिक्ष में भेजी गईं हैं
- PSLV-C-45 अंतरिक्ष के तीन अलग-अलग कक्षों में पहुंचाएगा सैटेलाइट
- बॉर्डर पर रडार और सेंसर पर नजर रखने में सहायक है एमिसैट
- दुश्मन के रडार का आसानी से पता लगाने में सक्षम है एमिसैट
- रॉकेट पहले 436 किग्रा के एमिसैट को 749 किलोमीटर के कक्ष में पहुंचाने का काम करेगा
- एमिसैट को उसकी कक्षा में स्थापित करने के बाद रॉकेट वापस नीचे आकर 504 किमी की ऊंचाई पर 28 सैटेलाइट को स्थापित करेगा
- पहली बार एक हजार लोगों ने देखा सैटेलाइट लॉन्च
इससे पहले इसरो और डीआरडीओ ने मिशन शक्ति के सफल होने का जश्न मनाया था. जिसमें भारत ने एक एंटी सैटेलाइट मिसाइल से जिंदा सैटेलाइट को सिर्फ तीन मिनट में निशाना बनाया
विदेशी सैटेलाइट भी हुए लॉन्च
एमिसैट सैटेलाइट के साथ 28 विदेशी सैटेलाइट्स को भी लॉन्च किया गया है. बताया गया है कि इनमें 24 अमेरिका, दो लिथुआनिया के और स्पेन- स्विट्जरलैंड के एक-एक सैटेलाइट शामिल हैं.
पहली बार अलग-अलग ऑर्बिट में छोड़े जाएंगे सैटेलाइट
इसरो (ISRO) के अध्यक्ष के सिवान ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया था, 'यह मिशन हमारे लिए काफी स्पेशल है. हम इस लॉन्च के लिए चार स्ट्रैप ऑन मोटर्स के साथ एक पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने बताया कि पहली बार तीन अलग-अलग ऊंचाई पर रॉकेट के जरिए सैटेलाइट को उसके ऑर्बिट में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं.' रॉकेट बारी-बारी से सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित करेगा.
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