विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने अमेरिकी समकक्ष माइक पोम्पिओ से कहा है कि रूस के साथ एस-400 मिसाइल रक्षा समझौते पर भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखेगा. बता दें कि भारत ने पिछले साल अक्टूबर में 40 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए रूस के साथ समझौता किया था. भारत ने यह समझौता अमेरिका की चेतावनियों के बीच किया था.
ऐसे में इस समझौते को लेकर ‘काउंटरिंग अमेरिकाज ऐडवरसरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट’ (काटसा) के तहत भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध लगने की आशंका जताई जा रही है. इस मुद्दे पर पोम्पियो ने कहा, ''इस समय ऐसे मुद्दे हैं, लेकिन हम (साथ) काम करने का एक तरीका खोज लेंगे और मुझे पता है कि जब हम दूसरी तरफ आएंगे तो हमारे संबंध और मजबूत होंगे.''
काटसा के तहत प्रतिबंधों के मुद्दे पर जयशंकर ने कहा, ‘’हमारे कई देशों से संबंध हैं, जिनका एक इतिहास है. हम वही करेंगे जो हमारे राष्ट्रीय हित में है.’’
26 जून को बातचीत के दौरान जयशंकर और पोम्पियो ने आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत-अमेरिका सहयोग को बढ़ाए जाने पर प्रतिबद्धता जताई. इसके बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में पोम्पिओ और जयशंकर ने स्वीकार किया कि व्यापार पर दोनों देशों के अलग-अलग विचार हैं. मगर उन्होंने कहा कि मित्रों और बड़े व्यापारिक साझेदारों के मुद्दों को हल किया जा सकता है.
जयशंकर और पोम्पिओ ने ईरान से तेल खरीदने पर अमेरिकी प्रतिबंधों और खाड़ी में अमेरिका-ईरान तनाव के बीच ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर भी चर्चा की.
ईरान पर हमारा एक निश्चित दृष्टिकोण है. पोम्पियो ने मेरे साथ ईरान पर अमेरिकी चिंताओं को साझा किया. हमारे लिए यह अहम है कि वैश्विक ऊर्जा की आपूर्ति अनुमान के मुताबिक बनी रहे.एस जयशंकर, विदेश मंत्री
ईरान को लेकर पोम्पिओ ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि ईरान दुनिया का सबसे बड़ा आतंक का प्रायोजक है. हम भारतीय लोगों को भी जानते हैं, जो दुनियाभर में आतंक से पीड़ित हैं.''
पोम्पिओ 25 जून को भारत पहुंचे थे. उन्होंने 26 जून को सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों के कई पहलुओं पर चर्चा की. पोम्पिओ की यह यात्रा पीएम मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच जापान के ओसाका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर बैठक से पहले हुई है.
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