दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी में नए नागरिकता कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगे. पुलिस पर आरोप लगा कि उसने जामिया में घुसकर छात्रों के साथ जमकर हिंसा की. इस मामले में जामिया प्रशासन ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई. अब दिल्ली की कोर्ट ने पुलिस से पूछा है कि उसने जामिया की इस शिकायत पर क्या कार्रवाई की?
दिल्ली की एक कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जामिया यूनिवर्सिटी की शिकायत पर एक रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने जामिया में पुलिस के एक्शन के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को ये निर्देश दिए. कोर्ट ने पूछा है कि पुलिस ने जामिया में घुसकर की गई कार्रवाई के खिलाफ दायर शिकायत पर क्या एक्शन लिया?
बता दें कि जामिया यूनिवर्सिटी में हिंसा के बाद प्रशासन ने आरोप लगाया था कि पुलिस जबरन अंदर घुसी और पढ़ाई कर रहे छात्रों के साथ हिंसा की. पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ जामिया प्रशासन की तरफ से एफआईआर दर्ज कराने के लिए एक शिकायत दी गई थी. जिसके बाद पुलिस पर जानबूझकर एफआईआर दर्ज नहीं करने के आरोप लगे थे. जामिया यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा था,
“दिल्ली पुलिस हमारी FIR रिसीव नहीं कर रही है. जरूरत पड़ने पर हम हाईकोर्ट भी जाएंगे. दिल्ली पुलिस हमारे कैंपस में पूछे बिना आई थी और मासूम बच्चों को पीटा था. हम इसका विरोध करते हैं और करते रहेंगे.”नजमा अख्तर, जामिया यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर
क्या था मामला?
लोकसभा से नया नागरिकता बिल (अब कानून) पास होने के बाद जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने इस कानून के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया था, इस दौरान 15 दिसंबर को अचानक हिंसा भड़क गई. पुलिस ने कार्रवाई की. लेकिन कुछ पुलिसकर्मियों पर आरोप लगा कि उन्होंने जामिया में घुसकर जमकर लाठीचार्ज किया. जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए थे. पुलिस और छात्रों के बीच हिंसक झड़प के बाद छात्रों के हॉस्टल खाली करने की खबरें भी सामने आई थीं.
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