नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगा दिया गया है. ये दोनों ही जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अब्दुल्ला-मुफ्ती को पिछले साल 5 अगस्त से ऐहतियातन तौर पर हिरासत में लिया गया है. अब इन पर पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है.
इनके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के पूर्व विधायक बशीर अहमद वीरी और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के मामा सरताज मदनी के खिलाफ भी कड़े जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
बता दें, उनकी छह महीने की एहतियाती हिरासत गुरुवार को खत्म हो रही थी.
क्या है PSA है?
अगर सरकार को शक है कि आप पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो आपने भले ही कोई गलत काम नहीं किया हो, लेकिन सरकार को अगर शक होता है तो आपको हिरासत में ले सकती है.
शेख अब्दुल्ला सरकार में लाए गए PSA को 8 अप्रैल, 1978 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की मंजूरी मिली थी. PSA को लकड़ी तस्करों पर लगाम कसने के लिए लाया गया था. इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति का मामला सरकार को एडवाइजरी बोर्ड के सामने भेजना होता है. बोर्ड को अपना सुझाव आठ हफ्तों में देना होता है.
अगर बोर्ड हिरासत को सही ठहराता है, तो सरकार शख्स को बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रख सकती है. शुरुआत में इस कानून के तहत 16 साल से ज्यादा के नाबालिगों को भी हिरासत में लिया जा सकता था.
हालांकि बाद में इसमें संशोधन कर दिया गया, जिसके तहत 18 साल से कम के व्यक्ति को हिरासत में नहीं लिया जा सकता. ‘किसी व्यक्ति की गतिविधि से राज्य को खतरा’ होने की सूरत में या किसी व्यक्ति की गतिविधि से ‘कानून व्यवस्था को बरकरार रहने में खतरा’ होने की स्थिति में भी उसे PSA के तहत हिरासत में लिया जा सकता है. PSA के तहत किसी की हिरासत का आदेश डिविजनल कमिश्नर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की तरफ से जारी होता है.
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