लोकसभा में सोमवार को जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया. इस बिल के जरिये जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन एक्ट 2004 में संशोधन किया गया है ताकि बॉर्डर के नजदीक रहने वाले लोग भी वास्तविक नियंत्रण रेखा के नजदीक रहने वाले लोगों की तरह रिजर्वेशन के दायरे में आ जाएं. इसका मकसद राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को एजुकेशन इंस्टीट्यूट और सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने का है. इससे राज्य में किसी भी धर्म और जाति के गरीबों के लिए राज्य की सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन का रास्ता साफ हो जाएगा. गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में ये विधेयक पेश किया. गृह मंत्री अमित शाह उस समय सदन में मौजूद थे.
विपक्ष के कुछ सांसदों ने किया विरोध
विपक्ष के कुछ सांसद इस बिल को पेश करने का विरोध कर रहे थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उनकी मांग को मंजूर नहीं किया. दरअसल, इस बिल के जरिए से जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है.
बिल का मकसद और कारण
बिल के मकसद और कारणों में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 और उसमें बनाए गए नियम के तहत आरक्षण का फायदा अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे हुए क्षेत्रों में रह रहे लोगो को उपलब्ध नहीं था. इसमें कहा गया है कि सीमापार से लगातार तनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे हुए क्षेत्रों में रह रहे लोग सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से पीड़ित होते हैं.
ये कारण इन लोगों को दूसरी सुरक्षित जगहों पर जाने के लिए अक्सर बेबस करती हैं. जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति और शैक्षिक स्थिति पर सही प्रभाव नहीं पड़ता है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे हुए जगहों में निवास कर रहे व्यक्तियों को अधिनियम के दायरे में लाने और उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों के समान बनाने की मांग थी. ऐसे में अधिनियम में संशोधन जरूरी हो गया था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)