जम्मू कश्मीर में मार्च, 2015 में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी थी. मंगलवार को ये 'बेमेल गठबंधन' वाली सरकार आखिरकार गिर गई. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2015 से लेकर 17 जून, 2018 तक आतंकवाद से राज्य में कुल 954 मौतें हुईं. इसमें 249 सुरक्षाबल के जवान और 129 आम लोग थे.
इस सरकार के तीन सालों में पिछले तीन सालों के मुकाबले सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच 53 फीसदी ज्यादा एनकाउंटर हुए. इंडिया स्पेंड के एनालिसिस के मुताबिक, ऐसे मुठभेड़ में 51 फीसदी ज्यादा लोगों की मौत हुई.
बुरहान वानी की मौत के बाद हालात बदले
8 जुलाई, 2016 को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद घाटी में हालात बिगड़ते दिखे. आतंकी घटनाओं और एनकाउंटर में तेजी आई. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में जहां 14 नागरिकों और 165 आतंकियों की मौत हुई. वहीं 2017 में 218 आंतकी ढेर किए गए और 57 नागरिकों को जान गंवानी पड़ी.
पत्थरबाजी की घटनाओं में इजाफा
पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनने के बाद पत्थरबाजी की घटनाएं तेजी से सामने आई. न्यूज चैनल और अखबारों ने पत्थरबाज, पत्थरबाजी जैसे शब्द घर-घर तक पहुंचा दिए. सरकारी आंकड़ें बताते हैं कि साल 2015 से 2017 के बीच कुल 4,799 घटनाएं रिकॉर्ड की गईं. इन पत्थरबाजों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों ने पैलेट गन का इस्तेमाल किया, जिससे कई प्रदर्शनकारियों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी.
श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में पैलेट गन के शिकार अपनी आंख का इलाज कराने आते हैं. इंडिया स्पेंड के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2015 से 10 मई 2018 तक 1,398 मरीजों ने पैलेट के कारण लगी चोटों का इलाज कराया.
मोदी सरकार में युवाओं को मौका
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मई, 2014 में बनी मोदी सरकार के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर के युवाओं को तेजी से सुरक्षाबलों में शामिल किया गया. 3,882 युवा सेंट्रल फोर्सेज में, 7,302 युवा भारतीय सेना में और 7,698 युवा बतौर स्पेशल पुलिस ऑफिसर तैनात किए गए.
(इनपुट: इंडिया स्पेंड)
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