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SC बार एसोसिएशन से जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा-मुझे नहीं चाहिए फेयरवेल

22 जून को रिटायर हो रहे हैं जस्टिस चेलमेश्वर

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस चेलमेश्वर ने अपने ही फेयरेवेल प्रोग्राम में शामिल होने से मना कर दिया है. CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस चेलमेश्वर ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से आयोजित फेयरवेल प्रोग्राम में आने से इनकार कर दिया है. जस्टिस चेलमेश्वर 10 अक्टूबर 2011 से ही बतौर जज, सुप्रीम कोर्ट में काम कर रहे हैं और 22 जून को रिटायर होने वाले हैं.

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जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुए थे शामिल

इस साल 12 जनवरी को हुए ऐतिहासिक घटनाक्रम में जस्टिस चेलमेश्वर समेत 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का प्रशासनिक कार्य ठीक से नहीं हो रहा है. जजों के मुताबिक उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया इसलिए मीडिया के सामने आना पड़ा.

चीफ जस्टिस को भेजी गई चिट्ठी में जस्टिस चेलमेश्वर समेत चारों जजों ने कहा था “हमने एक साथ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बताने की कोशिश की कि कुछ चीजें ठीक नहीं चल रही हैं और उन्हें ठीक करने के लिए कदम उठाना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से हमारी कोशिश फेल हो गई”.

चिट्ठी में लिखा है कि सिद्धांत यही है कि चीफ जस्टिस के पास रोस्टर बनाने का अधिकार है. वो तय करते हैं कि कौन सा केस किस कोर्ट में कौन देखेगा. ये विशेषाधिकार इसलिए है, ताकि सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सुचारू रूप से चल सके लेकिन इससे चीफ जस्टिस को उनके साथी जजों पर कानूनी, तथ्यात्मक और उच्चाधिकार नहीं मिल जाता. इस देश के न्यायशास्त्र में ये साफ है कि चीफ जस्टिस दूसरे जजों में पहले हैं, बाकियों से ज्यादा या कम नहीं. चिट्ठी के मुताबिक ऐसे भी कई मामले हैं, जो देश के लिए बहुत ही जरूरी हैं. लेकिन, चीफ जस्टिस ने उन मामलों को तार्किक आधार पर देने की बजाय अपनी पसंद वाली बेंच को सौंप दिया.इसे किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए.

आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं जस्टिस जे. चेलमेश्वर

23 जून 1953 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में जन्मे चेलमेश्वर की शुरुआती तालीम कृष्णा शहर में ही हुई. उन्होंने मद्रास लोयोला कॉलेज से फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया. जिसके बाद 1976 में वो विशाखापट्नम की आंध्र यूनिवर्सिटी से कानून की शिक्षा हासिल की. 1995 में वो सीनियर काउंसल बने और 13 अक्तूबर 1995 को एडिश्नल एडवोकेट जनरल के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई.

23 जून 1997 को वो आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एडिश्नल जज बने और 17 मई 1999 को जज. मार्च 2010 में जस्टिस चेलमेश्वर ने केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का कार्यभार संभाला. अक्तूबर 2011 में जस्टिस चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट के जज बने. जस्टिस चेलमेश्वर इसी साल 22 जून को रिटायर होंगे.

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