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Kanwar Yatra 2022: 100 साल की अम्मा और कृतिम पैर वाले ड्राइवर ले आए कांवड़

ये कुछ ऐसी असाधारण कहानियां हैं जिसे सुनकर इंसान अपने दांतो तले उंगलियां दबा ले.

Published
भारत
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सावन के महीने में लाखों शिवभक्त (Kanwar Yatra 2022) जल लेने के लिए पैदल या डाक कांवड़ पर हरिद्वार और गौमुख जाते हैं. श्रद्धा और भक्ति से ओतप्रोत इस अनूठी यात्रा पर जहां हजारों नवयुवक भगवा वस्त्र धारण किए हुए रोड पर दिखाई देते हैं, वहीं इनके बीच कुछ ऐसी असाधारण कहानियां भी हैं जिसे सुनकर इंसान अपने दांतो तले उंगलियां दबा ले.

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मेरठ की रहने वाली 100 वर्षीय ओंकारी देवी और हरियाणा के सोनीपत जिले के रहने वाले दिव्यांग पवन, जिन्होंने अपना एक पैर एक्सीडेंट में खो दिया था...ऐसे असाधारण जज्बे और भक्ति की कहानियों के पात्र हैं जिनसे हमारी मुलाकात इनकी यात्रा के दौरान हुई.

100 साल की ओंकारी हरिद्वार से पैदल लाईं गंगाजल

झुका हुआ शरीर, हाथ और पैरों की चमड़ी सिकुड़ी है. आंखों पर चश्मा, हल्की नीले रंग की कमीज और सूती धोती पहने बुजुर्ग गंगाजल लेकर चली जा रही हैं. दूर से आवाज लगाने पर ठीक से सुनाई भी नहीं पड़ता, लेकिन बीच हाईवे पर कांवड़ियों में सबसे आगे हैं. जिस उम्र में चलना मुश्किल है, उस उम्र में 100 साल की ओंकारी देवी हरिद्वार से डेढ़ सौ किलोमीटर का सफर तय करके गंगाजल लेकर मेरठ पहुंची हैं.

ये कुछ ऐसी असाधारण कहानियां हैं जिसे सुनकर इंसान अपने दांतो तले उंगलियां दबा ले.

Kanwar Yatra 2022

ओंकारी यूपी में मेरठ जिले के कस्बा मवाना की रहने वाली हैं. पति ओमपाल सिंह की करीब 30 साल पहले मृत्यु हो चुकी है. परिवार में ओंकारी चौथी पीढ़ी को देख रही हैं. बेटे, बहू, पौत्र से भरापूरा परिवार है. इस कांवड़ यात्रा में ओंकारी समेत परिवार की दो बहू भी गंगाजल लाई हैं.

बातचीत में ओंकारी देवी कहती हैं, 'पैदल गंगाजल लाई हूं. सुबह छह बजे चल देती हूं और दिनभर चलती हूं. पैर में कभी छाला तक नहीं पड़ा. आज के बालक तो थोड़ी सी दूर चलते ही कह देते हैं भोले छाले पड़े गए.' ओंकारी देवी ने कहा, '100 बरस की हो चुकी हूं, बहुत कुछ देख लिया. भोलेनाथ में विश्वास है. पहले से ही आस्था है. मैं जितनी बार कांवड़ लाऊं, वो कम है. भोलेनाथ से यही मांगा है कि पूरा परिवार हंसता-खेलता रहे. आखिरी दिन तक ऐसे ही चलती रहूं.'

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575 किलोमीटर चलकर गोमुख से गंगाजल लाए दिव्यांग पवन

एक पैर से दिव्यांग पवन 575 किलोमीटर का सफर तय करके गोमुख से गंगाजल लेकर आए हैं और हरियाणा में सोनीपत जिले के पैतृक गांव कुर्ली स्थिल शिवालय में पहुंचकर जलाभिषेक करेंगे. पेशे से ड्राइवर पवन अब तक 15 बार कांवड़ ला चुके हैं. 7 साल पहले उनकी गाड़ी में आग लग गई थी. इसके चलते हुए एक्सीडेंट में उनका एक पैर खराब हो गया था.

ये कुछ ऐसी असाधारण कहानियां हैं जिसे सुनकर इंसान अपने दांतो तले उंगलियां दबा ले.

Kanwar Yatra 2022

पवन ने बताया, ‘डॉक्टरों को मजबूरन मेरा पैर काटना पड़ा. मगर, मैंने हार नहीं मानी. एक साल बाद ही कृत्रिम पैर लगवाकर फिर से कांवड़ लेकर गया. एक पैर गंवाने के बावजूद हर बार की तरह इस बार गोमुख से ही गंगाजल उठाया. तब से एक पैर पर ही 5वीं बार कांवड़ लेकर आया हूं.’’

‘मैं गोमुख से कांवड़ लेकर काफी दिन पहले ही चल पड़ा था. रोज 25 किलोमीटर से ज्यादा चल रहा हूं. गोमुख से मेरा पैतृक गांव कुर्ली 575 किलोमीटर है. अगर मन में मजबूत इच्छाशक्ति हो और भोले के लिए अपार श्रद्धा हो, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता.’
पवन

मेरी कोई निजी इच्छा नहीं, बाबा सबका भला करें

पवन ने कहा कि, ‘मेरी कोई निजी इच्छा नहीं है. भोले का भक्त हूं और महादेव मुझे बिना मांगे ही सब दे देते हैं. भयंकर एक्सीडेंट से जान बचाई. एक पैर के बल पर ही इच्छाशक्ति दी. भोले बाबा मुझे हर बार दर्शन कराते हैं. मैं बस उनसे एक ही कामना करता हूं कि सभी का भला करना. मेरी मां कहती है कि जो अपने लिए चाहते हो, उसकी कामना सबके लिए करो. ऊपर वाला खुद सब कुछ दे देगा. इतने लोगों की जरूरतों को महादेव कभी नजरअंदाज नहीं कर सकते.’

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