भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर 9 नवंबर से खुलने जा रहा है. इसकी घोषणा भारत-पाकिस्तान ने मिलकर की है. कॉरिडोर पाकिस्तान के करतारपुर और भारत के गुरदासपुर के मान गांव को जोड़ेगा.
सिखों के पहले गुरु नानकदेव की कर्मस्थली है करतारपुर. यहीं नानकदेव ने अंतिम सांस ली थी.
इस कॉरिडोर का मकसद सिख श्रद्धालुओं के लिए गुरु नानकदेव की पवित्र धरती तक पहुंच और आवाजाही आसान बनाना है. करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन के लिए सिख श्रद्धालु अब भारत में डेरा बाबा नानक से इस कॉरिडोर के जरिए सीधे करतारपुर गुरुद्वारे तक जा सकेंगे.
हम आपको करतारपुर कॉरिडोर से जुड़े कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं.
क्यों अहम है करतारपुर कॉरिडोर?
करतारपुर में जिस जगह नानकदेव की मौत हुई थी, माना जाता है कि उसी स्थान पर यह गुरुद्वारा है. इसलिए ये गुरुद्वारा अहम धार्मिक मान्यता रखता है.
करतारपुर कॉरिडोर श्रद्धालुओं के लिए कब खुलेगा?
करतारपुर कॉरिडोर श्रद्धालुओं के लिए इसी साल 9 नवंबर को खुलेगा. दसअसल इसी दिन गुरुनानक देव की 550वीं जयंती है.
क्या करतारपुर साहिब जाने के लिए वीजा की जरूरत होगी?
नहीं, करतारपुर कॉरिडोर के लिए कोई वीजा नहीं है.
क्या करतारपुर जाने की फीस लगेगी? अगर हां, तो कितनी?
9 नवंबर से12 नवंबर तक करतारपुर जाने के लिए कोई फीस नहीं लगेगी. लेकिन इसके बाद करतारपुर जाने के लिए फीस देना होगा. ये फीस 20 डॉलर होगी.
करतारपुर जाने के लिए सबसे पहले क्या करना होगा?
आपको सबसे पहले https://prakashpurb550.mha.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा.
करतारपुर कॉरिडोर को किस देश ने डेवलप किया है?
इसे दोनों देशों की सरकारों ने मिलकर बनाया है.
इसके रजिस्ट्रेशन के बाद की जानकारियां कहां मिलेंगी?
करतारपुर कॉरिडोर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके बाद इस रजिस्ट्रेशन की सारी जानकारी आपको गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर मिलेगी.
भारतीय सीमा से करतारपुर की कितनी दूरी है?
गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर पाकिस्तान में भारतीय सीमा से महज 3 किलोमीटर दूर है.
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