करुणानिधि का अंतिम संस्कार मरीना बीच पर होगा. उनके निधन के बाद उनसे जुड़ी तमाम बातें शेयर की जा रहीं हैं. इसी बीच द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता एम. के. स्टालिन ने भी अपने दिवंगत पिता और पार्टी नेता एम. करुणानिधि की याद में एक भावुक खत लिखा है.
इस खत में स्टालिन ने बताया है कि उनके पिता ने तीस साल पहले उनकी कब्र पर एक संदेश लिखे जाने की इच्छा जताई थी.
स्टालिन ने अपने पिता को संबोधित करते हुए लिखा है, “तीस साल पहले, आपने कहा था कि आपकी कब्र पर ये शब्द अंकित होने चाहिए...एक व्यक्ति जो हमेशा बिना आराम किए काम करता रहा, अब जाकर उसे आराम मिला है. ”
पूरी हुई करुणानिधि की अंतिम इच्छा
स्टालिन ने अपने पिता करुणानिधि की जिस ‘आखिरी इच्छा’ का जिक्र किया था, उसे पूरा कर दिया गया है.
करुणानिधि के लिए जो ताबूत तैयार कराया गया है, उस पर लिखा है, ‘एक व्यक्ति जो हमेशा बिना आराम किए काम करता रहा, अब जाकर उसे आराम मिला है.’
मेरे नेता क्या मैं तुम्हें अप्पा कहकर बुला सकता हूंः स्टालिन
पत्र में स्टालिन ने कहा है कि, "आपको अप्पा, अप्पा कहकर बुलाने की बजाए मैंने कई बार आपको थलाइवरय, थलाइवरय (मेरे नेता) कहकर बुलाया है. थलाइवरय क्या मैं आपको एक बार अप्पा कहकर पुकार सकता हूं."
पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे 94 साल के करुणानिधि का चेन्नई में मंगलवार को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया.
करुणानिधि से जुड़ी बड़ी बातेंः
- करुणानिधि का पूरा नाम मुथुवल करुणानिधि था
- करुणानिधि का जन्म तीन जून, 1924 को तंजावुर जिले में हुआ था. वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने पत्रकार, नाटककार और स्क्रिप्ट राइटर के तौर पर भी काम किया.
- वह समाज सुधारक 'पेरियार' ई.वी. रामास्वामी और अन्ना के प्रभाव में आकर द्रविड़ अभियान से जुड़े.
- वह द्रविड़ अभियान से जुड़े उन अंतिम लोगों में से एक थे, जो तमिलनाडु में पांच दशक पहले सामाजिक न्याय के आधार पर राजनीति में पिछड़े वर्ग के उत्थान और कांग्रेस शासन की समाप्ति के अगुवा बनकर उभरे थे.
- वह अपने पथ प्रदर्शक सी.एन. अन्नादुरई (अन्ना) के स्थान पर 1969 में मुख्यमंत्री बने. उन्होंने पार्टी और सरकार पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई.
- उन्होंने 1957 में कुलिथालाई से सफलतापूर्वक अपना पहला चुनाव लड़ा था और उसके बाद से उन्होंने 13 चुनावों में से एक में भी हार का सामना नहीं किया.
- 94 साल के करुणानिधि तमिलनाडु के पांच बार मुख्यमंत्री रहे.
- वह लगभग 50 सालों तक डीएमके के अध्यक्ष रहे.
- कलैनार के रूप में विख्यात करुणानिधि को कला, साहित्य, फैशन, रंगमंच और सिनेमा में भी दक्षता हासिल थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)