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Kashmir:अमित शाह की बैठक,ग्रैंड मुफ्ती की कश्मीरी पंडितों से अपील- बड़े अपडेट

"ऐसी हत्याओं से दर्द होता है, कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़कर न जाएं"- कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम

Published
भारत
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कश्मीर घाटी में हाल ही में आम नागरिकों के लक्षित हत्याओं (Kashmir targeted killings) ने घाटी को दहला दिया है. इसी के के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार, 3 जून को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. वहीं दूसरी तरफ कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम ने कहा है कि ऐसी हत्याओं से दर्द होता है, कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़कर न जाएं बल्कि गरिमा और शांति के साथ हमारे साथ रहना चाहिए.

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गृह मंत्री शाह की जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति पर समीक्षा बैठक

शुक्रवार, 3 जून को हुई गृह मंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा बैठक में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी बैठक में शामिल हुए.

आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की. बैठक में आगामी अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों पर भी चर्चा हुई.

पिछले महीने, शाह ने अमरनाथ यात्रा की तैयारियों और जम्मू-कश्मीर में समग्र सुरक्षा की समीक्षा के लिए एक बैठक की थी. केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह और खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए. मिली जानकारी के अनुसार गृह मंत्री शाह ने एलजी सिन्हा और कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी अनौपचारिक मुलाकात की.

ऐसी हत्याओं से दर्द होता है, कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़कर न जाएं- कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती

कश्मीर के ग्रैंड मुफ्ती नसीर-उल-इस्लाम ने घाटी में हुई हत्याओं पर अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा है कि वे तीन दशकों से कश्मीरी पंडितों की वापसी की मांग कर रहे थे और जम्मू-कश्मीर के मुख्य अल्पसंख्यक समुदाय को "गरिमा और शांति के साथ हमारे साथ नहीं रहना चाहिए"

"उन्हें जाना नहीं चाहिए. यहीं पर रुकना चाहिए. हमने उनकी वापसी के लिए लगातार 30 सालों तक आवाज उठाई है. अब वे वापस आए हैं और उन्हें हमारे साथ पूरी गरिमा और शांति के साथ रहना चाहिए."
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गौरतलब है कि सरकार ने पिछले साल ही जुलाई में संसद को सूचित किया था कि कश्मीरी पंडित घाटी में "अधिक सुरक्षित" महसूस कर रहे हैं और समुदाय के 3,800 से अधिक युवा प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत विभिन्न जिलों में नौकरी करने के लिए वापस कश्मीर चले गए हैं.

हालांकि हाल में कश्मीर घाटी में आम नागरिकों के लक्षित हत्याओं ने इन दावों पर सवाल उठाया है. एक दिन पहले ही कश्मीर में राजस्थान के एक बैंकर की गोली मार हत्या कर दी गयी. कुछ ही घंटे बाद दो प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया गया जिसमें से एक की मौत हो गयी जबकि दूसरा जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है.

इस हफ्ते की शुरुआत में, जम्मू के सांबा जिले की रहने वाली 36 वर्षीय हिंदू महिला शिक्षक रजनी बाला की कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल में आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

पिछले महीने, कश्मीर में कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट सहित दो नागरिकों और तीन ऑफ-ड्यूटी पुलिसकर्मियों की कश्मीर में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी. पिछले साल अक्टूबर में मशहूर केमिस्ट एम एल बिंदू की उनकी दुकान में हत्या कर दी गई थी.
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"हिंदुत्वा के नाम पर वोट लेते हो लेकिन...."- शिवसेना के निशाने पर बीजेपी 

कश्मीर में शांति बहाल करने में विफल रहने के लिए विपक्षी दलों ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अपना हमला तेज कर दिया है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि बीजेपी पर हिंदुत्व के नाम पर वोट हासिल करती है लेकिन उसने घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडितों के जीवन में कोई सुधार नहीं लाया.

राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ तीखे तेवर के लिए जाने जाने वाले राउत ने कहा कि आज कश्मीर में "वही स्थिति पैदा हो गई है" जैसा कि 1990 के दशक में था. मालूम हो कि 1990 के दशक में कश्मीर घाटी में उग्रवाद ऊंचाई पर था और कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर पलायन देखा गया था.

(इनपुट- आईएएनएस)

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