कश्मीर में पिछले कई दिनों से अफरातफरी का माहौल है. पहले सरकार ने अमरनाथ यात्रियों को फौरन वापस आने का आदेश जारी कर दिया गया. सैलानियों को भी लौटने के लिए कह दिया गया. फिर कश्मीर में भारी मात्रा में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया. बाद में जम्मू-कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया और इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी भी बंद कर दी.
जब से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू - कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के आर्टिकल 370 को हटाने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किया है. तब से जम्मू-कश्मीर का बाकी की दुनिया से संबंध कट गया है.
न तो कोई जम्मू-कश्मीर में मौजूद लोगों से बात कर पा रहा है. न ही जम्मू-कश्मीर के लोग बाहर बात कर पा रहे हैं. ऐसे में भारत और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद जम्मू-कश्मीर के लोग अपने घरों में भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. इन लोगों को कश्मीर में रह रहे अपने घर-परिवार को लेकर चिंता हो रही है.
आमिर शाह लिखते हैं कि- हम कश्मीर में मौजूद अपने परिवार से बात नहीं कर पा रहे हैं. हर किसी की कश्मीर को लेकर चिंता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. पीएम से गुजारिश है कि वो सुनिश्चित करें कि हम परिवार से संपर्क साध सकें.
सईद फैजान लिखते हैं कि अगर कोई कश्मीर में मौजूद है तो वहां के जमीनी हालातों के बारे में बताए. हमें चिंता हो रही है. अपने परिवासे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है.
एक यूजर लिखते हैं कि मैं कश्मीर से हूं. अभी राजस्थान में हूं. अपने घरवालों से बात करने की कोशिश कर रहा हूं पर कोई संपर्क नहीं हो पा रहा कि वो ठीक हैं या नहीं.
मिर्जा वहीद लिखते हैं कि लगातार दूसरा दिन है कि कश्मीर में किसी से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा. पूरी तरीके से सन्नाटा है. आपको अंदाजा नहीं है कि ऐसी स्थिति में कैसा लगता है.
बता दें कि आज कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कहा कि वो जम्मू में अपने भाई से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं. आजाद के मुताबिक सरकार और मेनस्ट्रीम मीडिया दिखा रही है कि कश्मीर में शांति है लेकिन हकीकत ये है कि कश्मीर के 22 में से 20 जिलों में कर्फ्यू है, मोबाइल, टेलीफोन, इंटरनेट, सब बंद है.
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