कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को लेकर 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इसके पहले जम्मू-कश्मीर में कम्युनिकेशन, मीडिया और टेलिफोन सेवाओं पर पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में लगे प्रतिबंधों पर कही ये बातें-
- जम्मू कश्मीर में पाबंदी वाले सभी आदेशों की समीक्षा 1 हफ्ते में हो.
- इंटरनेट पर बैन लगाना सही नहीं है. इंटरनेट तक पहुंच की आजादी भी आर्टिकल 19(1)(a) के तहत मौलिक अधिकार है.’
- कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को सभी इंस्टिट्यूशन्स (जैसे हॉस्पिटल, शैक्षणिक संस्थान आदि) में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा है.
- धारा 144 बेवजह नहीं लगा सकते, बेहद जरूरी कारण होने पर ही धारा 144 लगाना चाहिए.
- अगर आगे से सरकार कहीं भी धारा 144 लगाती है तो उसके ऑर्डर को सार्वजनिक करना होगा, जिससे उसे चुनौती दी जा सके.
- प्रशासन एक हफ्ते के अंदर जम्मू कश्मीर में इंटरनेट शटडाउन के ऑर्डर को रिव्यू करे.
- कश्मीर ने काफी हिंसा देखी है. हम सुरक्षा के मुद्दे, मानवाधिकारों और आजादी के मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे.
- पाबंदियों वाले आदेश जारी करते वक्त मजिस्ट्रेट अपना दिमाग लगाएं और समानुपात के सिद्धांत का पालन करें.
- CrPC की धारा 144 का इस्तेमाल विचारों की भिन्नता को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता.
- ''कश्मीर ने काफी हिंसा देखी है. हम सुरक्षा के मुद्दे, मानवाधिकारों और आजादी के मुद्दों के बीच संतुलन बनाने की सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे.''
- सरकार सभी आदेशों को सार्वजनिक करे जिससे उन्हें चुनौती दी जा सके. इंटरनेट शटडाउन के आदेशों को आगे समय-समय पर रिव्यू करते रहें.
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टॉपिक: कश्मीर प्रतिबंध जम्मू कश्मीर
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