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दिल्ली दंगाः खालिद सैफी की जमानत याचिका फिर रद्द, कोर्ट में आज क्या-क्या हुआ?

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य सैफी पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं

Published
भारत
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दिल्ली (Delhi) की एक अदालत ने पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों (Delhi Riots) के बड़े षड्यंत्र के मामले में एक्टिविस्ट खालिद सैफी (Khalid Saifi) की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन और विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है.

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विरोध प्रदर्शन CAA और NRC के खिलाफ था ही नहीं - पब्लिक प्रोसिक्यूटर

वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने इस मामले में जमानत की मांग करते हुए कहा था कि खालिद सैफी नागरिकता संशोधन कानून और NRC के विरोध में हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने के लिए किसी स्पष्टीकरण देने के बाध्य नहीं हैं. रेबेका जॉन ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को विरोध करने का अधिकार है जो अपने आप में एक साजिश का संकेत नहीं है.

उन्होंने यह तर्क मुख्य रूप से खालिद सैफी के खिलाफ अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों पर दिए जिसमें धारा 161और सीआरपीसी के 164 के तहत गवाहों के बयान शामिल हैं

यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य सैफी पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. उन पर आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 और 4 के तहत भी आरोप लगाया गया है.

विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कोर्ट में खालिद सैफी की जमानत का विरोध करते हुए कोर्ट में दलील दी कि 2020 में हुए धरने पूरी प्लानिंग के साथ किए गए थे. प्रसाद ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन जानबूझ कर मस्जिदों के पास रखे गए और उन्हें सेक्युलर प्रोटेस्ट दिखाने की कोशिश की गई. प्रसाद ने अदालत को बताया कि यह प्रदर्शन असल में नागरिकता संशोधन कानून और NRC के विरोध में नहीं थे बल्कि अंतरष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि को धूमिल करने के लिए थे.

आपको बता दें आज से तीन दिन पहले इसी कोर्ट में दिल्ली दंगो के अन्य आरोपी आरजेडी के नेता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र मीरान हैदर की भी बेल याचिका खारिज कर दी गई थी. अबसे एक हफ्ते पहले दिल्ली दंगो के अन्य आरोपी- जेएनयू के छात्र रहे उमर खालिद की भी जमानत याचिका दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में खारिज कर दी गई थी.

इस बीच जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह मामले में आदेश सोमवार 11 अप्रैल को पारित होने की संभावना है. शारजील पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया है कतिथ तौर पर जिसके कारण दिसंबर 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर हिंसा हुई.

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