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आडवाणी से अशोक सिंघल तक: ये हैं अयोध्या विवाद के चर्चित चेहरे

जब बाबरी मस्जिद गिराई जा रही थी तब आडवाणी बीजेपी अध्यक्ष और अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष थे.

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सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अयोध्या में विवादित जमीन के मामले में अपना फैसला सुनाया. 1980 के दशक में हुए कई राजनीतिक आंदोलनों के चलते उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग बढ़ी, जिसके बाद लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 में राजनीतिक रथ यात्रा का नेतृत्व किया. 1992 में अयोध्या में बीजेपी, वीएचपी और आरएसएस ने एक बड़ी रैली की. इसके बाद 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस हुआ.

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इस पूरी घटना से जुड़े प्रमुख चेहरे इस तरह हैं-

  • लालकृष्ण आडवाणी : बीजेपी अध्यक्ष के रूप में आडवाणी ने 1990 में गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की. इससे पूरे देश में ध्रुवीकरण के माहौल को बल मिला और राम मंदिर के निर्माण की बात को उठाया गया.
  • मुरली मनोहर जोशी : जोशी ने अपने पूर्ववर्ती आडवाणी की तरह 1991 में बीजेपी अध्यक्ष का पद संभाला था. विध्वंस की जांच में सीबीआई ने जोशी पर आरोप लगाया कि वह 6 दिसंबर को आरएसएस के अन्य नेताओं के साथ मंच पर थे. उन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
जब बाबरी मस्जिद गिराई जा रही थी तब आडवाणी बीजेपी अध्यक्ष और अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष थे.
जुलाई 2005 में रायबरेली में, भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार के साथ विहिप अध्यक्ष अशोक सिंघल की फाइल फोटो. (फोटो: पीटीआई)
  • कल्याण सिंह : जब बाबरी मस्जिद को हजारों कारसेवकों द्वारा गिराया जा रहा था, उस वक्त कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. विध्वंस के बाद उन्होंने 6 दिसंबर की शाम को इस्तीफा दे दिया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. बता दें 6 दिसंबर को हुई रैली से पहले कल्याण सिंह ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी सरकार मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देगी.
  • उमा भारती : भारती छह दिसंबर को अयोध्या में मौजूद थीं. उन पर सांप्रदायिक भाषण देने और हिंसा भड़काने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया गया था.
  • अशोक सिंघल : सिंघल उस वक्त विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष थे. सिंघल 1984 में हुए उस अभियान के पीछे भी रहे थे, जिसमें अयोध्या में राम मंदिर की मांग की गई थी. बाबरी विध्वंस में सिंघल की भूमिका को प्रमुख माना जाता है.
  • पी. वी. नरसिम्हा राव : 1992 में बाबरी मस्जिद गिरने के समय राव प्रधानमंत्री थे. कई लोगों ने उन्हें निष्क्रियता के लिए दोषी ठहराया. लिब्रहान आयोग ने इस घटना की जांच की. राव की सरकार ने उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का विचार किया था, लेकिन राज्य सरकार ने एक हलफनामे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होगा.
जब बाबरी मस्जिद गिराई जा रही थी तब आडवाणी बीजेपी अध्यक्ष और अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष थे.
रथ यात्रा को सांप्रदायिकता को बढ़ाने वाला करार देकर लालू प्रसाद यादव ने रोकी थी आडवाणी की रथ यात्रा
(फाइल फोटो: PTI)
  • लालू प्रसाद यादव : राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता लालू प्रसाद ही एकमात्र ऐसे नेता थे, जिन्होंने आडवाणी की रथयात्रा का निर्णायक विरोध किया. 1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने समस्तीपुर आडवाणी की रथयात्रा को रुकवा दिया और उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया.
  • विजया राजे सिंधिया : ग्वालियर की राजमाता और बीजेपी की एक वरिष्ठ नेता सिंधिया छह दिसंबर को बीजेपी, आरएसएस और विहिप नेताओं के साथ अयोध्या की रैली में मौजूद अहम नेताओं में से एक थीं.
  • बाल ठाकरे : शिवसेना सुप्रीमो ठाकरे हालांकि बाबरी मस्जिद के विध्वंस के स्थल पर कभी मौजूद नहीं रहे, लेकिन माना जाता है कि वह ढांचे को गिराने की साजिश का हिस्सा रहे थे. 1992 में मस्जिद के विध्वंस के बाद ठाकरे ने दावा किया था कि उनके संगठन ने मस्जिद को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी.

पढ़ें ये भी: हिंदुत्व की राजनीति को मुकाम, अयोध्या पर फैसले का क्या होगा अंजाम?

(इनपुट- IANS)

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