मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने मंगलवार (1 अक्टूबर) देर रात नई SIT का गठन किया. ये नई SIT विवादास्पद ‘हनी ट्रैप’ मामले की जांच करेगी. बताया जा रहा है कि इस मामले में कई हाई प्रोफाइल नेता और ब्यूरोक्रैट फंसे हुए हैं.
पहले बनाई गई SIT टीम में 10 अधिकारी थे, नई टीम में 3 रह गए हैं. हालांकि सरकारी आदेश में ये भी कहा गया है कि ये अधिकारी जब चाहें, दूसरे पुलिस अधिकारियों की मदद ले सकते हैं. नई टीम स्पेशल डीजी (साइबर सेल) राजेन्द्र कुमार की अगुआई में बनाई गई है. राजेन्द्र कुमार एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड के प्रमुख संजीव शमी की जगह आए हैं.
ये मध्य प्रदेश पुलिस के दो टॉप अधिकारियों के बीच झगड़े का नतीजा है. पहले अधिकारी ने दूसरे अधिकारी को गाजियाबाद में एक फ्लैट किराये पर देने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था. खबर है कि उस फ्लैट में हनी ट्रैप मामलों को अंजाम दिया जाता था. नोटिस के कारण दूसरा अधिकारी नाराज हो गया और यहां तक कि उसने इसके बारे में आईपीएस एसोसिएशन को भी लिखा है.
आईपीएस एसोसिएशन फिलहाल दूसरे अधिकारी की शिकायत पर विचार कर रहा है. “हम अमूमन व्यक्तिगत शिकायतों पर विचार नहीं करते और हम इस शिकायत को उचित अधिकारी के पास भेज सकते हैं. लेकिन अभी तक इस बारे में फैसला नहीं किया गया है.” ये कहना है आईपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय यादव का.
संजीव शमी एक ईमानदार और कड़क पुलिस अधिकारी माने जाते हैं. कई पुलिस अधिकारियों का मानना है कि शमी को इस केस से हटाने के बाद उन्हें हनी ट्रैप मामले में इंसाफ की उम्मीद कम ही है.
SIT का हिस्सा रहे अधिकारियों ने कहा, सरकार का ये कदम अनुचित है और इससे जांच पर असर पड़ सकता है.
इस मामले में पुलिस ने 18 सितंबर को श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन, बरखा सोनी भटनागर, आरती दयाल और मोनिया यादव को गिरफ्तार किया. उन पर नेताओं और नौकरशाहों को ब्लैकमेल करने का आरोप था. पुलिस ने इस मामले में मोनिका यादव को गवाह बनाया है.
मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने क्विंट को बताया कि ये गहन जांच का विषय है, जिसमें पांचों आरोपियों के 1,000 से ज्यादा कॉल का ट्रान्सक्रिप्शन करना है. ये कॉल दो महीने में इंटरसेप्ट किए गए थे.
30 सितंबर को द क्विंट ने खबर दी थी कि 30 जुलाई को एक सीनियर आईएएस अधिकारी का सेक्स वीडियो टेप लीक हो जाने के बाद आरोपी सेक्स रैकेट गिरोह की निगरानी की जा रही थी.
“कुछ मामलों में तो हमारे पास सुबूत के रूप में नेताओं और ब्यूरोक्रैट्स के सेक्स वीडियो टेप उपलब्ध हैं. लेकिन कुछ मामलों में हमने आरोपियों के नेताओं और ब्यूरोक्रैट्स के साथ फोन कॉल इंटरसेप्ट किया है, जिनकी जांच की जा रही है.”एक पुलिस अधिकारी
क्विंट को पुलिस सूत्रों से पता चला कि एक बीजेपी नेता के 30 और एक कांग्रेसी नेता के 27 सेक्स वीडियो टेप हैं.
हमें ये भी पता चला कि एक सीनियर बीजेपी नेता और राज्य के पूर्व मंत्री पर एक आरोपी को साथ लेकर 20 दिनों के लिए नेपाल जाने का भी आरोप है.
‘आरोपी महिला अक्सर मध्य प्रदेश सचिवालय जाती थी’
क्विंट को बताया गया कि निगरानी के दौरान एक आरोपी श्वेता स्वप्निल जैन को लगातार वल्लभ भवन जाते हुए पाया गया. इस भवन में मुख्यमंत्री, दूसरे मंत्री, मुख्य सचिव, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, उप सचिव और दूसरे अधिकारियों के दफ्तर हैं.
“शिकायत दर्ज होने के कुछ ही दिन पहले श्वेता स्वप्निल जैन को एक सीनियर ब्यूक्रैट के दफ्तर में घुसने से प्रतिबंधित कर दिया गया. पहले वो अक्सर वहां जाया करती थी. हमें ये नहीं मालूम कि अचानक उस पर वहां जाने पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया. हम इस मामले की जांच कर रहे हैं.”एक पुलिस अधिकारी
सूत्रों ने बताया कि जांच में उस ब्यूरोक्रैट के सेक्स वीडियो टेप भी सामने आए हैं, जिनके पास श्वेता स्वप्निल जाया करती थी.
क्विंट को 5 बीजेपी नेताओं, 2 RSS नेताओं, 3 कांग्रेस नेताओं, 4 वर्तमान आईपीएस अधिकारियों और 7 वर्तमान आईएएस अधिकारियों के नामों का पता लगा है. इनमें 2 काफी सीनियर अधिकारी, एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और दो पत्रकार भी शामिल हैं. एक पत्रकार दिल्ली का है.
SIT ने एक अंदरूनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री कमलनाथ को पेश की. सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट से कुछ नेताओं और ब्यूरोक्रैट्स के नाम पहले ही हटाए जा चुके हैं.
“कमलनाथ सरकार की SIT कभी सच्चाई को जनता के सामने नहीं आने देगी. वो एक बीजेपी नेता का नाम उजागर कर सकती है, क्योंकि सत्ता के गलियारों में कई लोगों को उनके मामले की जानकारी है. उन्हें ब्लैकमेल किया गया और फिरौती के रूप में भारी रकम मांगी गई. मामले में कई बड़े नाम शामिल हैं, जो शायद ही सामने आएं.”एक पुलिस अधिकारी
‘हनी ट्रैप गिरोह’ ठेका और अपने एनजीओ के लिए अनुदान पाने के लिए प्रभावशाली लोगों से संपर्क करता था. बाद में उनसे निजी स्तर पर मुलाकात होती थी और गुप्त कैमरे से सेक्स वीडियो तैयार किया जाता था. पुलिस को उन महिलाओं की भी तलाश है, जिन्हें ये गिरोह रोजगार का लालच देता था और फिर वेश्यावृत्ति कराता था.
ह्यूमन ट्रैफिकिंग का ये मामला IPC की धारा 370 के तहत दर्ज किया गया है, जिसमें कम से कम 10 सालों तक सख्त सजा का प्रावधान है. इस धारा में किसी भी रूप में शारीरिक शोषण और किसी भी तरह का यौन शोषण अपराध है. इस धारा में शोषण के लिए पीड़ित की सहमति मायने नहीं रखती. पुलिस सबूत इकट्ठा करने के लिए उन फायदों की भी जांच कर रही है, जो नेताओं और ब्यूरोक्रैट्स ने गिरोह को दिए थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)