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क्या आपस में तालमेल बनाकर सरकार चला पाएंगे कांग्रेस-शिवसेना-NCP?

‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ के तहत तालमेल बिठाकर सरकार को सही तरीके से चलाने की कोशिश की जाएगी.   

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महाराष्ट्र में पिछले काफी समय से जारी सियासी खींचतान, उठापटक, और नाटकीय घटनाक्रमों के बाद आखिरकार गुरुवार को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. इसी के साथ अब राज्य में एक स्थिर सरकार की उम्मीद की जा रही है. लेकिन कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार की बागडोर संभालना उद्धव ठाकरे के लिए इतना आसान नहीं होगा. शिवसेना के साथ कांग्रेस और एनसीपी की विचारधाराओं में असमानता उद्धव के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी.

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हालांकि, तीनों दलों को मिलाकर बने गठबंधन महा विकास अघाड़ी ने इस तरह की चुनौतियों से बचने के लिए पहले ही होमवर्क कर लिया है. तीनों ही दलों ने मिलकर 'कॉमन मिनिमम प्रोग्राम' तैयार किया है.

इसकी प्रस्तावना में कहा गया है, "गठबंधन के साझेदार संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

इतना ही नहीं शिवसेना की हिंदुत्व वाली छवि को लेकर कोई टकराव की स्थिति पैदा न हो इसलिए ये भी तय किया गया है कि राष्ट्रीय महत्व के विवादास्पद मुद्दों के साथ-साथ राज्य के महत्व के विशेष मुद्दों, विशेष रूप से जिनका धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर असर हो, ऐसे मुद्दों पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस परामर्श और सर्वसम्मति बनाने के बाद ही संयुक्त रुख अपनाएंगी.

शिवसेना ने शरद पवार को बताया सरकार का 'मार्गदर्शक'

शिवसेना ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ में गुरुवार को ढेरों कसीदे पढ़े और उन्हें राज्य की अगली सरकार का 'मार्गदर्शक' बताया है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि भले ही शिवसेना हिंदुत्व विचारधारा में यकीन करती हो, लेकिन राज्य में सरकार बनाने के लिए उसने एनसीपी और कांग्रेस के साथ 'महा विकास अघाड़ी' गठबंधन बनाया है. 'सामना' के संपादकीय में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन को आगे लाने में शरद पवार की कोशिशों को स्वीकार किया गया है.

अजित पवार के यू-टर्न का श्रेय भी ‘सामना’ में शरद पवार को दिया गया है. साथ ही इसमें लिखा गया है कि राज्य के सियासी ड्रामे के ‘मैन ऑफ द मैच’ शरद पवार हैं.

इस तरह शिवसेना ने संकेत दे दिया है कि सीएम भले ही उद्धव ठाकरे बने हों, लेकिन सरकार में 'मार्गदर्शक' की भूमिका शरद पवार ही निभाएंगे.

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कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से बनेगा तालमेल

शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की गठबंधन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम यानी कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में किसान, रोजगार, शिक्षा, शहरी विकास, पर्यटन, कला, संस्कृति और महिलाओं के मुद्दे पर काम करने का वादा किया गया है. शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी नेता जयंत पाटिल ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की जानकारी दी.  शिवसेना नेता ने बताया कि बारिश पीड़ित किसानों को फौरन मदद दी जाएगी और किसानों का कर्ज तुरंत माफ किया जाएगा.

महाराष्ट्र में नई सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में सबसे खास बात है कि इसमें धर्मनिरपेक्षता और विकास की बात की गई है. शिंदे ने कहा कि सरकार सभी जाति, प्रांत के लोगों को साथ लेकर आगे चलेगी. किसी भी तरह का भेदभाव किसी के साथ नहीं किया जाएगा.

कांग्रेस और एनसीपी की छवि जहां सेक्युलर है, वहीं शिवसेना की पहचान कट्टर हिंदुत्व वाली रही है. लेकिन अब अगर शिवसेना को सरकार चलानी है तो अपने कट्टर हिंदूवाद और पुराने तेवरों से समझौता करना ही होगा. यही वजह है कि शिवसेना ने अब सेक्युलर राजनीति करने के लिए खुद को तैयार कर लिया है.
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अनुभवी मंत्रिमंडल से अनुभवहीन उद्धव को मिलेगा फायदा

आज तक कभी कोई चुनाव न लड़ने वाले उद्धव ठाकरे के लिए सीधे मुख्यमंत्री पद पर बैठना बेहद चुनौती भरा साबित होने वाला है. ऐसे में सीएम के तौर पर फैसले करना उनके लिए आसान नहीं होगा. लेकिन उनकी अनुभवहीनता की कमी को पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल में अनुभवी नेताओं को शामिल किया गया है. उद्धव के साथ शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो-दो नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. इनमें शिवसेना से एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, एनसीपी से जयंत पाटिल, छगन भुजबल, कांग्रेस से बालासाहेब थोराट, नितिन राउत शामिल हैं.

आगे होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में भी अनुभवी चेहरों को शामिल किए जाने की उम्मीद है, ताकि तीन पहिए की गाड़ी में सवार सरकार में संतुलन बना रहे.

विचारधारा और एजेंडे में तालमेल

तीनों दलों की अलग-अलग विचाराधारा और राजनीतिक एजेंडा रहा है. भले ही सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर बनी हो, और तीनों दलों के नेताओं का दावा भले ही ये हो कि सरकार के सभी फैसले आमसहमति से लिये जाएंगे लेकिन किसी न किसी मोड़ पर विचारधारा तो आड़े आएगी. साफ जाहिर है कि उद्धव ठाकरे के सिर मुख्यमंत्री का ताज कांटों भरा है. कांग्रेस और एनसीपी के साथ तालमेल बनाकर चलना काफी मुश्किल भरा साबित होगा. देखने वाली बात यह होगी कि उद्धव ठाकरे कहां तक तालमेल बिठाने में सफल हो पाते हैं.

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